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हाँ ! आपने ठीक समझा टमाटर एक रुपये किलो ही है

टमाटर क्या एक रूपया किलो में किसान को फायदा पहुंचा सकता है? टमाटर सॉस और टिमटोपुरी यदि लोगों का दिल लुभा सकती है तो किसान बेचारा एक रूपया किलो टमाटर बेच पा कर क्या खाये और क्या बचत करे? कोल्डस्टोरेज में रखने की भी कीमत उसे नहीं मिल रही तो वह सड़कों पर टमाटर को फेंकने के आलावा कर भी क्या सकता है!

टमाटर क्या एक रूपया किलो में किसान को फायदा पहुंचा सकता है? टमाटर सॉस और टिमटोपुरी यदि लोगों का दिल लुभा सकती है तो किसान बेचारा एक रूपया किलो टमाटर बेच पा कर क्या खाये और क्या बचत करे? कोल्डस्टोरेज में रखने की भी कीमत उसे नहीं मिल रही तो वह सड़कों पर टमाटर को फेंकने के आलावा कर भी क्या सकता है!

सीफेट (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्टिंग इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजीज) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत फलों और सब्जियों का दूसरे सबसे बड़ा उत्पादक देश है, बावजूद इसके देश में कोल्ड स्टोर और प्रसंस्करण संबंधी आधारभूत संसाधनों के अभाव में हर साल दो लाख करोड़ रुपए से अधिक की फल और सब्जियां नष्ट हो जाती हैं। इसमें सबसे ज्यादा बर्बादी आलू, टमाटर और प्याज की होती है। भारत हर साल 13,300 करोड़ रुपए के ताजा उत्पाद बर्बाद कर देता है क्योंकि देश में पर्यात कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और रेफ्रिजरेट वाली परिवहन सुविधाओं का अभाव है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश भर में हर साल कोल्ड स्टोरेज के अभाव में 10 लाख टन प्याज बाजार में नहीं पहुंच पाती है। सिर्फ इतना ही नहीं, 22 लाख टन टमाटर भी अलग-अलग कारणों से बाजार में पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाता है।

टमाटर की कीमत इस एक बार फिर कौड़ियों के भाव तक पहुंच गयी है। किसानों को मजबूरन टमाटर सड़कों पर फेंकना पड़ रहा है। देश की सबसे बड़ी टमाटर मंडियों में कीमत पिछले एक महीने से लगातर गिर रही है। गिरते-गिरते कीमत अब तो एक से दो रुपए प्रति किलो तक पहुंच गयी है। ऐसे में मंडी तक टमाटर ले जाने, ले आने का खर्च तक नहीं निकल पा रहा। देश की सबसे बड़ी टमाटर मंडी नासिक में टमाटर का न्यूनतम भाव 200 रुपए प्रति कुंतल तक पहुंच गया है। जबकि 23 और 24 सितंबर को तो भाव 150 रुपए कुंतल हो गया था।

देश की प्रमुख टमाटर मंडियों में टमाटर की कीमत एक रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। मतलब टमाटर सड़कों पर फेंकने का समय आ गया है और ऐसा पहली बार नहीं होगा। सरकार के तमाम दावे और आश्वासन फिर फेल होते दिख रहे हैं।

कीमत एक रुपए किलो तक पहुंच गयी है। इसका कारण यह है कि बाजार में अभी मांग बहुत कम है जबकि खेतों में पक चुकी टमाटर सीधे यहीं पहुंच रही है। त्योहार को देखते हुए हो सकता है कि कीमतों में कुछ सुधार आये।

ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि जब हर साल ऐसा ही होता है तो सरकार टमाटर की कीमतों को गिरने से रोकने के लिए कुछ करती क्यों नहीं? टमाटर, प्याज और किसानों के साथ पिछले कुछ वर्षों से ऐसा ही होता आ रहा है। इस बारे में निवेश नीति विश्लेषक और कृषि मामलों के जानकर देविंदर शर्मा कहते हैं "लगातार तीन साल से फसल कटाई के समय पर फसलों के दाम बुरी तरह से गिरे हैं। अब आप किसानों की दुर्दशा और उनकी तकलीफ का अंदाजा लगा सकते हैं। साल दर साल किसान मेहनत करते हैं, अपने पूरे परिवार के साथ खेतों में काम करते हैं और मंडी पहुंचने पर पता चलता है कि उनकी उपज के दाम तो मिट्टी में मिल चुके हैं।

सरकार ने बजट के समय टमाटर, आलू और प्याज को बचाने के लिए ऑपरेश ग्रीन का नारा भी दिया था लेकिन अभी वो ठंडे बस्ते में हैं। अभी फसल तैयार है इसलिए कीमत कम हो गयी है, बाजार में आवक बढ़ गयी है। कुछ महीने बाद इसी टमाटर की कीमत आसमान पर होगी क्योंकि तक आवक नहीं होगी। ऐसे में अगर जल्दी खराब हो जाने इस फसल को सही से रखने की व्यवस्था देश में हो तो किसानों को फायदा तो मिलेगा ही साथ ही साथ आम लोगों को फायदा होगा।"

 

चंद्र मोहन, कृषि जागरण

English Summary: Yes ! You just thought tomato is only one rupee. Published on: 13 October 2018, 06:09 PM IST

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