यूं तो मछलियों की इस दुनिया में बेशुमार मछलियां हैं. एक शोध के मुताबिक, मछलियों की कुल 30 हजार से भी अधिक प्रजातियां हैं, लेकिन मछलियों की इस कायनात में एक ऐसी भी मछली है, जो अब विलुप्ति के कागार पर पहुंच चुकी है, जिसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. अगर समय रहते कोई कदम नहीं उठाए गए, तो यह हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास की इबारतों में कैद होकर वर्तमान से अपने तमाम सरोकारों को ध्वस्त कर लेंगी, लिहाजा शब्दों में लिखी ये बात कहीं अक्षरश: हकीकत की बातें न बन जाए, इसलिए संयुक्त राष्ट्र ने इस मछली के अस्तित्व को बचाने के लिए 2016 से 'वर्ल्ड टूना डे' मनाने का ऐलान किया था. इस मछली का नाम टूना है. इस मछली को बचाने के लिए हर वर्ष 2 मई के दिन 'वर्ल्ड टूना डे' मनाया जाता है. 'वर्ल्ड टूना डे' टूना मछली को बचाने के लिए ही मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने यह कदम मछलियों के अस्तित्व को बचाने के लिए उठाया है.
आखिर क्यों है इसे खतरा
टूना की पूरे विश्व में भारी मांग है. हर देश मे इसके सर्वाधिक ग्राहक हैं, जिसके चलते बीते कुछ वर्षों में लोगों की मांग की तुलना में मछलियों की पूर्ति में अभाव दिखा है, जिसके बाद से इस मछली के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है. पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर इस मछली का शिकार किया जाता है, ताकि मानव जरूरतों की पूर्ति की जा सके, मगर अफसोस बीते कुछ वर्षों से जिस तरह से इस मछली का शिकार तेजी से बढा है, उससे इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है.
आखिर क्यों है टूना मछली की भारी मांग?
यहां हम आपको बताते चले कि अपने प्रचुर पोषक तत्वों की उपलब्धि की वजह से हमेशा से पूरे विश्व में टूना मछली की भारी मांग रही है. एक शोध के मुताबिक, टूना मछली में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है. किसी अन्य मछलियों की तुलना में इसमें सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है. टूना एक तैलीय मछली है, जिसके चलते इसमें प्रचुर मात्रा में विटामीन-डी भी पाया जाता है. इसमें अच्छी खासी मात्रा में एसिड भी पाया जाता है. टूना मछली अन्य किसी भी मछली की तुलना में सर्वाधिक उपयोगी मानी जाती है, जिसके चलते हमेशा से इसकी भारी डिमांड रही है. इसके भारी डिमांड के चलते ही अब इसके वजूद पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.
कहां पाई जाती है टूना मछली
सबसे ज्यादा टूना मछली भूमध्य सागर, अंटलाटिक, प्रशांत महासागर में पाई जाती है. टूना की 40 से भी ज्यादा प्रजातियां शामिल हैं, लेकिन लगातार टूना के होते शिकार से अब यह विलुप्ति के कागार पर पहुंच चुकी हैं, लिहाजा इन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए ही हर वर्ष 2 मई को 'वर्ल्ड टूना डे' मनाया जाता है.
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