लेकिन सबसे पहले, मैं इस साल के वर्ल्ड फूड प्राइज़ की विजेता डॉ. सेंथिया रोज़ेनविग (Dr. Cynthia Rosenzweig) के बारे में बताना चाहुंगी. वह नासा के गोडार्ड अंतरिक्ष अध्ययन संस्थान में एक वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक हैं, यहां वह क्लाइमेट इंपैक्ट्स ग्रुप की प्रमुख हैं. उनका मिशन मानव कल्याण और जलवायु परिवर्तन प्रभावों का अध्ययन करना है.
डॉ. सेंथिया को, उनके कृषि मॉडल इंटर-कंपेरिज़न एंड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (एजीएमआईपी) के माध्यम से जलवायु और खाद्य प्रणालियों के बीच संबंधों को समझाने के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. डॉ. सेंथिया का यह मॉडल न केवल वर्तमान के कृषि व्यवस्था में सुधार की वकालत करता है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट को समझने के लिए तकनीकी दृष्टि देता है. जलवायु परिवर्तन से आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा और इस चुनौती से निपटने के लिए किसान क्या उपाय कर सकते हैं, पर डॉ. सेंथिया का काम असाधारण है.
डॉ. सेंथिया के विचार, “हम जलवायु परिवर्तन के गंभीर मुद्दे को तब तक हल नहीं कर सकते जब तक हम भोजन से पैदा होने वाली ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को संबोधित नहीं करते. अब समय नही रहा, मैं उन संगठनों की आलोचना करती हूं जो 2030 या 2050 का लक्ष्य लेकर ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के जीरो उत्पादन का संकल्प ले रही हैं. यदि ऐसा ही रहा तो 2030 तक मक्का और धान की फसलों में 24 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी होगी. जलवायु परिवर्तन मानव जाति को खुद के लिए भोजन पैदा करने की चुनौती देगा. हमें जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए काम कर रहे संगठनों के प्रति संवेदनशील और उनकी मदद करनी चाहिए.” अतुलनीय हैं.
जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया कि मुझे कल सुबह जलवायु परिवर्तन युग में स्वास्थ्य और पोषण पर एक पैनल, जीरोइंग इन द् क्लाइमेट एरा का संचालन करने का मौका मिला. मैंने यहां बोला कि निजि संस्थाओं को मानव कल्याण और मानव पोषण के लिए आगे आना चाहिए. निजि संस्थाए पोषक तत्व-फसल शोध अनुसंधान में निवेश करें. हमारे पास संसाधन हैं. ई-हरित क्रांति ने लाखों लोगों को भुखमरी से बचाया, साथ ही फसलों की खेती के लिए नई तकनीकें बनने लगीं. बिजनेस संस्थाएं जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौती से निपटने के लिए आगे आएंगी तब ही मानव जाति का भविष्य उज्जवल होगा.
-डेनियल नीरेनबर्ग के मूल पत्र का हिंदी अनुवाद
लेखिका डेनिएल नीरेनबर्ग फूड टैंक की अध्यक्ष हैं. वह कृषि और खाद्य मुद्दों की विशेषज्ञ हैं. उन्होंने लिंगानुपात, जनसंख्या और कृषि क्षेत्रों में नवाचारों पर विस्तार से लिखा है.
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