अपने घर की चौहद्दी को पार कर आज हुकूमत के खिलाफ पताका फहराने वाली महिला किसानों पर पूरे देश की निगाहें टिकी रहेंगी. हर मोर्चे पर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर विकास के गगनचुंबी सोपान तय करने वाली महिलाओं ने कृषि क्षेत्र में अकल्पनीय इतिहास रचा है. वहीं, आज जब किसानों द्वारा हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोलने की बात आई है तो भला यह महिला किसान क्यों पीछे रहेंगी, इसलिए आज पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्यत्र राज्यों से महिला किसान जंतर-मंतर पर केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरते हुए दिखेंगी.
बहुधा यही कहा जाता रहा है कि हर सफल इंसान के पीछे किसी न किसी महिला का साथ जरूर होता है. अब ऐसे में जब विगत आठ माह से केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलनरत रहे पुरुष किसानों को महिला किसानों का साथ मिलेगा तो यकीनन उनके आंदोलन को एक नई धार मिलेगी….
जानिए अब तक की हालिया स्थिति
वहीं, अगर अब तक की स्थिति की बात करें तो विगत आठ माह से किसान भाई केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, लेकिन कई दौरों की वार्ताओं के संपन्न होने के बावजूद भी केंद्र सरकार का रवैया तटस्थ ही रहा है. ऐसी स्थिति में दूर-दूर तक इसे लेकर समाधान की आहट सुनाई नहीं दे रही है. हालांकि, बीते दिनों जरूर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संग वार्ता की इच्छा जाहिर की थी.
इन मुद्दों पर भी होगी चर्चा
वहीं बताया जा रहा है कि जंतर-मंतर पर महिला किसानों के पहुंचने के बाद से किसान आंदोलन, मंडी एक्ट, एमएसपी समेत कई मसलों पर चर्चा की जाएगी. किसान आज उन सभी मसलों पर किसान संसद के बहाने चर्चा करते हुए दिखेंगे. जिसे लेकर पिछले दिनों से सियासत का सिलसिला जारी है.
संसद का मानसून सत्र
गौरतलब है कि वर्तमान में संसद का मानसून सत्र चल रहा है, जिसमें कई मसलों को लेकर चर्चा का सिलसिला जारी है, मगर अफसोस अभी तक हुए चर्चा में किसी भी मसलों को लेकर दोनों सदनों में सार्थक चर्चा की रत्ती भर भी तस्वीर नहीं दिखी है.
अगर कुछ दिखा है तो सांसदों की उल जुलूल हरकतों की वजह से संसद का स्थगन ही हुआ है, जिसे लेकर कई मौकों पर लोकसभा समेत राज्यसभा के अध्यक्षगण भी अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. खैर, अब आगे चलकर यह पूरा मसला क्या रूख अख्तियार करता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा.
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