1. Home
  2. ख़बरें

UP Election 2022: छुट्टा जानवरों का आतंक चुनावों में क्यों नहीं बन रहा बड़ा मुद्दा, जानें पूरी कहानी

साल 2017 में सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य में आवारा पशुओं के बेहतर प्रबंधन के लिए गौशाला बनाने का वादा किया था. लेकिन शायद यह ढंग से नहीं उभर पाया है. अब पांच साल बाद इस फरवरी-मार्च में यूपी विधानसभा चुनाव है और आवारा जानवरों का आतंक अभी भी राज्य में एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.

रुक्मणी चौरसिया
Stray Animals
Stray Animals

साल 2017 में सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) ने राज्य में आवारा पशुओं के बेहतर प्रबंधन के लिए गौशाला (Gaushala for better management of stray animals) बनाने का वादा किया था. लेकिन शायद यह ढंग से नहीं उभर पाया है.

क्या है पूरा मामला (What is the whole matter)

दरअसल, अब पांच साल बाद इस फरवरी-मार्च में यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly elections 2022) है और आवारा जानवरों का आतंक अभी भी राज्य में एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.

विपक्षी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) भी कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं. ऐसे में आज हम उत्तर प्रदेश के उन किसानों की दुर्दशा को समझने की कोशिश करेंगे, जो आवारा पशुओं के कारण बड़े पैमाने पर फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

जानवरों से किसानों को झेलनी पड़ रही है परेशानी (Farmers are facing problems due to animals)

शहर के बाहर ग्रामीण इलाकों में किसान हाथों में लाठियां लिए हुए तड़के खेतों में आवारा जानवरों (Stray animals) के एक समूह का पीछा करते देखे गए थे. इन किसानों के लिए कड़ाके की ठंड में यह रोज की दिनचर्या है. वे नहीं जानते कि आवारा जानवर कहां से आते हैं और खेतों में खड़ी फसल को खा जाते हैं. किसान भी अपनी मेहनत और मेहनत की कमाई से उगाई गई फसलों को बचाने के लिए मौसम की परवाह किए बिना शाम को जानवरों के पीछे भागते हैं.

फसलें हो रही हैं नष्ट (Crops are getting destroyed)

गांव के कई इलाकों में गौशालाएं हैं जहां जानवरों को टैग किया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि कभी-कभी जानवर वहां से निकल आते हैं और गेहूं की खड़ी फसल को नष्ट कर देते हैं.

सुल्तानपुर के एक निवासी का कहना है कि पिछले 3-4 साल से आवारा जानवर आमोद-प्रमोद कर रहे हैं. जिससे किसान सुबह-शाम खेतों की रखवाली करने को मजबूर हैं. साथ ही इलाके में गौशालाएं हैं लेकिन वहां से जानवरों को छोड़ दिया जाता है.

नहीं मिल पा रहा है उपाय (Can't find solution)

किसानों के बैठने और आवारा जानवरों पर नजर रखने के लिए पारंपरिक मचान बनाए गए हैं. जो लोग खर्च कर सकते हैं वे आवारा जानवरों को दूर रखने के लिए कांटेदार तारों का उपयोग कर रहे हैं. यह एक महंगा निवेश है, जो गरीब किसानों के लिए संभव नहीं है.

गौशाला प्रबंधक के शब्दों का ग्रामीणों द्वारा विरोध किया जाता है, जो कहते हैं कि कई जानवर जो खेतों में फसल को नुकसान पहुंचाते हैं वे गौशाला
(Gaushala) के हैं क्योंकि उनके पास एक ही टैग है.

चुनावी वादें (Election promises)

वहीं दिसंबर में अखिलेश यादव ने वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतती है तो सांडों के हमले में मरने वालों के परिवारों को 5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

अखिलेश यादव ने घोषणा से पहले यूपी में अपनी रैलियों में आवारा पशुओं का मुद्दा उठाया था. ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं को लेकर लोगों में आक्रोश व भय है. आवारा जानवर लोगों की जान के साथ-साथ फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.

English Summary: Why the terror of stray animals is not becoming a big issue in the elections, know the full story Published on: 12 January 2022, 01:46 PM IST

Like this article?

Hey! I am रुक्मणी चौरसिया. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News