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सोयाबीन की खड़ी फसलों पर व्हाइट स्टेम फ्लाई कीट का हमला

सोयाबीन मध्यप्रदेश की एक ख़ास फसल है. सोयाबीन जहाँ किसानो के लिए एक अच्छी आमदनी का स्रोत है वहीँ देश में अपनी सेहत का ख्याल रखने वाले वह सभी उपभोक्ताओं की प्रोटीन की कमी को भी पूरा करती है. वैसे अमेरिका से भी सोया का काफी आयात होता है. भारत में मध्यप्रदेश ही ऐसी जगह है जहाँ सोयाबीन का उत्पादन काफी मात्रा में होता है.

सोयाबीन मध्यप्रदेश की एक ख़ास फसल है. सोयाबीन जहाँ किसानो के लिए एक अच्छी आमदनी का स्रोत है वहीँ देश में अपनी सेहत का ख्याल रखने वाले वह सभी उपभोक्ताओं की प्रोटीन की कमी को भी पूरा करती है. वैसे अमेरिका से भी सोया का काफी आयात होता है. भारत में मध्यप्रदेश ही ऐसी जगह है जहाँ सोयाबीन का उत्पादन काफी मात्रा में होता है.

मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसानों को बढिय़ा फसल की जो उम्मीद नजर आ रही थी वह मटियामेट हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ इलाकों में खड़ी फसलों पर व्हाइट स्टेम फ्लाई कीट के हमले की सूचना मिली है। इससे उपज में कमी आ सकती है।

हालांकि उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों ने अंतिम उपज में इस कीट के बड़े पैमाने पर असर की संभावना से इनकार किया है लेकिन कुछ किसान नेताओं का कहना है कि राज्य के कई जिलों में कीट के हमले की खबर मिली है।

इस साल सोयाबीन की जोरदार फसल की उम्मीद कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में अनुमानित सोयाबीन उत्पादन पर अंतिम आंकड़े एसोसिएशन द्वारा खेतों का सर्वेक्षण पूरा होने के बाद अगले कुछ हफ्तों में पता चल पाएंगे। आधिकारिक अनुमान के अनुसार शुक्रवार तक लगभग 53.1 लाख हेक्टेयर भूमि पर सोयाबीन की बुआई हो चुकी है।

यह पिछले साल के बुआई क्षेत्र की तुलना में करीब 6.14 प्रतिशत अधिक है क्योंकि किसानों ने बेहतर मुनाफे की उम्मीद में अधिक क्षेत्र में बुआई की है। मध्यप्रदेश के एक किसान समूह और आम किसान यूनियन के प्रमुख केदार सिरोही ने कहा कि हमें कुछ स्थानों पर प्रति हेक्टेयर सोयाबीन की कम से कम 1,000 किलोग्राम फसल की उम्मीद थी लेकिन कीट हमले की वजह से अब इसमें कमी आ सकती है।

नई फसल की शुरुआती किस्म अगले हफ्ते बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। इस कीट हमले को लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बताया कि कुछ अलग-अलग क्षेत्रों में कीट के हमले की सूचना मिली है लेकिन यह इतने बड़े स्तर पर नहीं है कि बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण बने।

मोटे अनाज की बुआई का रकबा पहले के 1.822 करोड़ क्षेत्र की तुलना में कुछ कम 1.754 करोड़ हेक्टेयर रहा है। जहां तक नकदी फसल की बात है तो इस खरीफ सीजन में अब तक 1.205 करोड़ हेक्टेयर में कपास की बुआई हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि में की गई 1.209 हेक्टेयर से कुछ ही कम है। गन्ना बुआई 51.9 लाख हेक्टेयर में की जा चुकी है जबकि पिछले साल यह रकबा 49.8 लाख हेक्टेयर था। दूसरी ओर सात लाख हेक्टेयर में जूट की बुआई हो चुकी है जो पिछले साल के लगभग समान है।

देश में बाकी हिस्सों में शुक्रवार तक खरीफ की कुल फसल की बुआई लगभग 10.530 करोड़ हेक्टेयर में की जा चुकी है जो पिछले वर्ष समान अवधि में की गई बुआई से 0.72 प्रतिशत अधिक है। शुक्रवार को जारी किए गए कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि कर्नाटक, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में अधिक रकबे की वजह से 2018-19 के खरीफ सीजन में अब तक खरीफ की प्रमुख फसल धान के अंतर्गत बुआई क्षेत्र 2.27 फीसदी बढ़कर 3.833 करोड़ हेक्टेयर हो चुका है। पिछले साल धान का रकबा 3.748 करोड़ हेक्टेयर था। खरीफ की बुआई जून से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत के साथ ही शुरू हो जाती है और कटाई अक्टूबर से शुरू होती है। इस सीजन में अब तक 1.374 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन की बुआई हो चुकी है जो पिछले साल इसी सीजन में की गई 1.386 करोड़ हेक्टेयर के करीब ही है।

 

चंद्र मोहन                                             

कृषि जागरण

English Summary: White stem fly pests attack on stagnant crops of soybean Published on: 17 September 2018, 05:27 AM IST

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