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पौष्टिक गेहूं की तीन रंगों की तैयार हुईं किस्में, अब बदलेगा रोटी का रंग !

कृषि में कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो इसके मद्देनजर कृषि वैज्ञानिक आए दिन नवाचार कर रहें है. इसी कड़ी में देश में कृषि क्षेत्र में भी करीब 8 साल के शोध के बाद कृषि जैव प्रौद्योगिकीविदों ने अब रंगीन गेहूं की कुछ किस्में विकसित करने में सफलता हासिल की हैं, जिनमें मौजूद पोषक तत्व आपकी सेहत के लिए सामान्य गेहूं की तुलना में ज्यादा फायदेमंद हैं. क्या आपने कभी ऐसा सोचा है? गेहूं का रंग हमेशा एक ही तरह का रहा है और कई बार किसी व्यक्ति के रंग-रूप के लिए गेहुंआ रंग की उपमा दी जाती है.लेकिन इससे हटकर अब गेहूं अलग-अलग रंगों में पैदा होगा.

विवेक कुमार राय
name the fortified variety of wheat
Wheat

कृषि में कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो इसके मद्देनजर कृषि वैज्ञानिक आए दिन नवाचार कर रहें है. इसी कड़ी में देश में कृषि क्षेत्र में भी करीब 8 साल के शोध के बाद कृषि जैव प्रौद्योगिकीविदों ने अब रंगीन गेहूं की कुछ किस्में विकसित करने में सफलता हासिल की हैं, जिनमें मौजूद पोषक तत्व आपकी सेहत के लिए सामान्य गेहूं की तुलना में ज्यादा फायदेमंद हैं. क्या आपने कभी ऐसा सोचा है? गेहूं का रंग हमेशा एक ही तरह का रहा है और कई बार किसी व्यक्ति के रंग-रूप के लिए गेहुंआ रंग की उपमा दी जाती है.लेकिन इससे हटकर अब गेहूं अलग-अलग रंगों में पैदा होगा. नतीजतन थाली में परोसी जाने वाली रोटी भी रंगीन होगी. ऐसे में अगर आप बाजार में सामान्य रंग के गेहूं से हटकर अलग रंग का गेहूं देखें तो चौंकियेगा मत.

गेहूं की तीन रंगों की तैयार हुईं किस्में

दरअसल पंजाब के मोहाली में स्थित नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट ने गेहूं के इन किस्मों को तैयार किया है.  बैंगनी, काला और नीले रंग के क़िस्मों को विकसित किया गया है. फिलहाल इसकी खेती कई सौ एकड़ में की गई है. यह खेती पंजाब, यूपी, हरियाणा और बिहार की जा रही रही है. सकी खेती के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर) द्वारा परीक्षण किया जा रहा है ताकि इससे होने वाले और भी फायदों को लोगों तक पहुंचाया जा सके. साथ ही अगर इससे किसी भी तरह का नुकसान हो तो उसका भी पता लगाया जा सके. इसके बाद देशभर में इसकी खेती शुरू हो सकती है. एनएबीआई ने जापान से जानकारी मिलने के बाद 2011 से इसपर कार्य शुरू किया था. कई सीजन तक प्रयोग करने के बाद इसमें सफलता मिली है.

इन लोगों के लिए फायदेमंद                      

रंगीन गेहूं से आपको एंथोक्यानिन की जरूरी मात्रा मिल सकती है. एंथोक्यानिन एक एंटीऑक्सिडेंट है और इसको खाने से ह्रदय रोगों, मधुमेह और मोटापे जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी. जहां साधारण गेहूं में इसकी मात्रा पांच पीपीएम होती है, वहीं काले गेंहू में 140 पीपीएम, नीले गेहूं में 80 पीपीएम और बैंगनी गेहूं में 40 पीपीएम होती है. गेहूं के इन क़िस्मों को लेकर वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि हमने चूहे पर इसका प्रयोग किया है और यह पाया गया है कि रंगीन गेहूं खाने वालों का वजन बढ़ने की संभावना कम होती है.

प्रति एकड़ पैदावार कम

हालांकि इस तरह के गेहूं की प्रति एकड़ पैदावार काफी कम है. जहां सामान्य गेहूं की पैदावार 24 क्विंटल प्रति एकड़ है, वहीं रंगीन गेहूं की प्रति एकड़ पैदावार 17 से 20 क्विंटल है. इसलिए हो सकता है बाजार में यह गेहूं थोड़ा सा महंगा मिले. एनएबीआई ने इसका उत्पादन गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में किया है. सर्दी में यह फसल पंजाब के मोहाली के खेतों में उगाई गई, जबकि गर्मी में हिमाचल और केलोंग लाहौल स्पीति में.

English Summary: wheat variety: Three varieties of nutritious wheat were prepared, now the color of bread will change! Published on: 21 November 2019, 04:06 PM IST

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