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'व्हीट ब्लास्ट' से गेहूं उत्पादक देशों में खलबली, रोग से बचाव की तैयारियां भी शुरु

व्हीट ब्लास्ट जैसा फंगल (फफूंदी) से होने वाला संक्रामक रोग आमतौर पर धान में होता रहा है, लेकिन इसका असर पहली बार ब्राजील में देखा गया जहां से बोलीविया और पराग्वे में इसके फंफूद पहुंच गये। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में इस फंफूद के तेजी से पनपने की संभावना रहती है। इसे लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक सकते में आ गये।

व्हीट ब्लास्ट जैसा फंगल (फफूंदी) से होने वाला संक्रामक रोग आमतौर पर धान में होता रहा है, लेकिन इसका असर पहली बार ब्राजील में देखा गया जहां से बोलीविया और पराग्वे में इसके फंफूद पहुंच गये। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्म और नमी वाले क्षेत्रों में इस फंफूद के तेजी से पनपने की संभावना रहती है। इसे लेकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक सकते में आ गये।

वैज्ञानिकों की कोशिश इस घातक बीमारी की प्रतिरोधी प्रजाति जल्दी ही विकसित करने की है। साथ ही रोग प्रभावित क्षेत्रों को सीमित कर दिया जाए, ताकि इसका प्रसार न हो सके। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक प्रोफेसर एनके सिंह ने बताया कि इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए मेक्सिको स्थित नार्मन बोरलॉग गेहूं अनुसंधान संस्थान (सीमिट) अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय कर रहा है। वैज्ञानिकों का एक दल व्हीट ब्लास्ट प्रभावित क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधी प्रजाति विकसित करने में जुट गई है।

व्हीट ब्लास्ट जैसी संक्रामक बीमारी से दुनिया के गेहूं उत्पादक देशों में खलबली मची हुई है। फंगस से फैलने वाले इस रोग से निपटने की तैयारियां वैश्विक स्तर पर शुरु हो चुकी हैं। 'यूजी-99' रस्ट के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा खतरा गेहूं जैसी प्रमुख फसल के लिए पैदा हुआ है। पड़ोसी देश बांग्लादेश तक व्हीट ब्लास्ट के फंफूद मैगनापोर्टे ओरिजे के पहुंच जाने के संकेतों के बाद भारत सरकार और कृषि वैज्ञानिक सतर्क हो गये हैं।

इसके मद्देनजर बांग्लादेश की सीमा से लगी में दस किलोमीटर तक गेहूं की खेती पर पाबंदी लगा दी गई है। ऐसी किसी भी बीमारी की चुनौती से निपटने के लिए सीमा से लगे जिलों में 10 किलोमीटर भीतर तक इसकी कड़ी निगरानी की जा रही है। पूर्वी सीमा से सटे पश्चिमी बंगाल के पांच जिलों में गेहूं की बुवाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पूर्वी छोर के अन्य राज्यों में गेहूं की खेती नहीं होती है, लेकिन छिटपुट किसान गेहूं की फसल उगाते हैं। ऐसे किसानों को वैकल्पिक और अधिक फायदा देने वाली फसलों को लगाने के लिए मदद दी जा रही है।

ऐसे किसानों को वित्तीय मदद देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 90 करोड़ रुपये की सहायता देने का फैसला किया गया है। भारत सरकार की ओर से बांग्लादेश को भी यह सुझाव दिया गया है कि वह भी अपनी सीमा से 10 किमी अंदर तक गेहूं की खेती करने पर रोक लगा दे। उसके लिए वहां के किसानों को उचित बीज और अन्य मदद भी देने का प्रस्ताव रखा गया है।

यूजी-99 की बीमारी यूगांडा से शुरु हुई थी, जिसके लिए वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों ने उल्लेखनीय कार्य किया था। यह रस्ट अफगानिस्तान तक पहुंच गया था, जिसे लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने तत्परता बरती और देश में इसकी प्रतिरोधी प्रजाति का बीज भारी मात्रा में तैयार कर लिया।

भारतीय वैज्ञानिकों की भूमिका को पूरी दुनिया में सराहा भी गया है। गेहूं के लिए पैदा इस रोग से बचाव की तैयारियां भी शुरु कर दी गई है। वैज्ञानिकों की कोशिश इस तरह की प्रतिरोधी बीज को विकसित करने की है।

 

चंद्र मोहन

कृषि जागरण

English Summary: Wheat Blasts' Prepare Preparedness Preparedness in Wheat Producing Countries Published on: 11 September 2018, 07:08 AM IST

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