भारत में खेती पर खतरे के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं. लगातार गहरा रहा जल संकट, चिंता का बड़ा विषय बनता जा रहा है. वहीं, इस चिंता को केंद्रीय जल आयोग ने और बढ़ा दिया है. दरअसल, आयोग की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है. जिससे चौंकाने वाली बात सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आने वाले दिनों में जल संकट और गहरा सकता है. जिसका सीधा असर खेती पर पड़ेगा.
रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, महानदी और पेन्नार के बीच पूर्व की ओर बहने वाली 13 नदियों में वर्तमान में पानी पूरी तरह सूख चुका है. इनमें रुशिकुल्या, बाहुदा, वंशधारा, नागावली, सारदा, वराह, तांडव, एलुरु, गुंडलकम्मा, तम्मिलेरु, मुसी, पलेरु और मुनेरु शामिल हैं.
विशेषज्ञों ने इसलिए जताई चिंता
नदियों में सूख चुके पानी पर विशेषज्ञों ने गरही चिंता व्यक्त की है. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा राज्यों के 86,643 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से बहती हुई नदियां सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं. इस बेसिन में कृषि भूमि कुल क्षेत्रफल का लगभग 60 फीसदी है. संयुक्त बेसिन में महत्वपूर्ण शहर विशाखापत्तनम, विजयनगरम, पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी, श्रीकाकुलम और काकीनाडा शामिल हैं. विशेषज्ञों के अनुसार गर्मी के चरम से पहले ही नदियों के सूखने की यह स्थिति काफी चिंताजनक है. विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले दिनों में जल संकट और गहरा सकता है. जिससे खेती पर असर पड़ेगा.
घट रही पानी की उपलब्धता
गंगा बेसिन की बात करें तो 11 राज्यों के लगभग 2 लाख, 86 हजार गांव इस पर स्थित हैं. यहां पानी की उपलब्धता धीरे-धीरे घट रही है. यहां कृषि भूमि कुल बेसिन क्षेत्र का 66.57 फीसदी है. नर्मदा, तापी, गोदावरी, महानदी और साबरमती नदी घाटियों में उनकी क्षमता के सापेक्ष क्रमश: 46.2 फीसदी, 56, 34.76, 49.53 और 39.54 फीसदी भंडारण रिकॉर्ड किया गया। विशेषज्ञों के मुताबिक यह चिंता की बात है.
36 फीसदी गिरी जल भंडारण क्षमता
देश के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण क्षमता 36 फीसदी तक गिर चुकी है. छह जलाशयों में कोई जल भंडारण नहीं है. वहीं 86 जलाशयों में जल भंडारण 40 फीसदी या उससे कम है. इनमें से अधिकतर दक्षिणी राज्यों, महाराष्ट्र और गुजरात में हैं. तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्य वर्षा की कमी के चलते सूखे से जूझ रहे हैं. इससे देश के प्रमुख जलाशय सूख गए हैं. इसमें से 7.8 फीसदी क्षेत्र अत्यधिक सूखे की स्थिति में हैं.
एक साल में बढ़ गया सूखा क्षेत्र
आंकड़ों के अनुसार गंगा, ब्रहमपुत्र, सिंधु, कावेरी के बेसिक के कई क्षेत्र अलग-अलग स्तर के सूखे का सामना कर रहे हैं. देश में कम से कम 35.2 फीसदी क्षेत्र वर्तमान में असामान्य से असाधारण सूखे के अंतर्गत है. इसमें से 7.8 फीसदी क्षेत्र अत्यधिक सूखे की स्थिति में है. वहीं 3.8 फीसदी क्षेत्र असाधारण सूखे के अंतर्गत. एक साल पहले यह स्थिति क्रमश: 6.5 फीसदी और 3.4 फीसदी थी. यानी एक साल के दौरान अत्यधिक सूखे और असाधारण सूखे क्षेत्र का विस्तार हुआ है.
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