
विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज तेलंगाना में किसानों से संवाद किया. सबसे पहले वह तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के मनसनपल्ली गांव में किसानों से मिले. फिर रामचंद्रगुडा गांव जाकर किसान चौपाल में किसानों से मुलाकात की. केंद्रीय कृषि मंत्री को किसानों ने बताया कि वह विविधिकरण और एकीकृत खेती की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. एकीकृत खेती से उन्हें लाभ पहुंच रहा है और उनके उत्पादन और आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. किसान चौपाल के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मंगलपल्ली, इब्राहिमपट्टनम में आयोजित कार्यक्रम में किसानों को संबोधित किया.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कार्य मुझे सौंपा है उसे मैं निष्ठापूर्वक करने की कोशिश कर रहा हूं. आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हुआ है, जिसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं उनका अभिनंदन करता हूं.
शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों की समृद्धि ही हमारा उद्देश्य है. विकसित भारत के लिए उन्नत खेती और समृद्ध किसान जरूरी है. आज भी आधी आबादी की आजीविका का स्रोत कृषि ही है. जीडीपी में आज भी कृषि की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है. इस साल की चौथी तिमाही में कृषि की विकास दर 5.4 प्रतिशत है और यह हमारे किसान भाइयों-बहनों के कारण संभव हुआ है. हमारे किसानों ने मेहनत करके यह चमत्कार किया है. लेकिन हमें और आगे बढ़ना है. चार प्रमुख उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में प्रमुखता से कदम बढ़ाने होंगे. सबसे पहले हमें देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूती से काम करना है. देश में अन्न के भंडार भरे रहे इसका प्रयास होना चाहिए.
मुझे खुशी है कि इस ओर हम अपेक्षित परिणाम हासिल कर रहे हैं. आप सबकी मेहनत से इस साल गेहूं, चावल और उत्पादन में रिकॉर्ड स्तर की वृद्धि हुई है. दूसरा, हमारे किसानों को उनके उत्पादन का उचित दाम मिले, इसके लिए प्रयास करने होंगे. तीसरा, देश की 145 करोड़ आबादी को पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना होगा और चौथा, आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को सुरक्षित रखना, इसकी उर्वरकता को बनाए रखना है ताकि भावी पीढ़ी के लिए भी कृषि की प्रासंगिकता बनी रहें.
शिवराज सिंह ने कहा कि सबकी सामूहिक भागीदारी के साथ ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की गई है. लैब से लैंड को जोड़ने के लिए प्रयास हुआ है. वैज्ञानिक गावं-गांव जाकर किसानों तक शोध की सही जानकारी पहुंचा रहे हैं. जिसके लिए 16 हजार वैज्ञानिकों की 2,170 टीमों का गठन किया गया है. क्षेत्र विशेष की जरूरतों, जलवायु और मिट्टी की उर्वरक क्षमता के अनुसार खेती की सही पद्धति और फसल की किस्मों की जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है. किसान ही असली वैज्ञानिक है. इसलिए मैंने वैज्ञानिकों को निर्देश दिया है कि वह किसानों की व्यावहारिक समस्याओं को भी सुनें और आगे शोध का रास्ता उसी के अनुसार तय करें.
शिवराज सिंह ने कहा कि मोटे अनाज की विश्व स्तर पर पहचान स्थापित करने की कोशिश होगी. तेलंगाना का भारतीय श्री अन्न अऩुसंधान संस्थान पूरी दुनिया को दिशा देगा, ऐसा मुझे पूरा विश्वास है. तेलंगाना में पाम ऑयल की खेती कैसे बढ़े, इस पर भी अनुसंधान होगा. रंगारेड्डी जिले में किसानों द्वारा किए गए नवाचार देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई. पाम और पपीते की खेती को एक साथ करके कृषि उन्नति के तरीके देखें. टमाटर की खेती देखी, फूलों की खेती देखी, किसान नर्सरी तैयार कर रहे हैं, इन उन्नत कृषि प्रयासों के लिए मैं अपने किसान भाइयों-बहनों को धन्यवाद देता हूं. एक किसान भाई ने साझा किया कि किस प्रकार वह एक एकड़ में तीन लाख रुपये तक का मुनाफा कमा रहे हैं. आप आगे बढ़े यही हमारा ध्येय है. आपकी समृद्धि में कोई कसर बाकी ना रहें, इसी के लिए हम तत्परता से कार्य कर रहे हैं. हम देश में भी अनुसंधान करेंगे और विदेशों के भी सफल अनुसंधान आप तक पहुंचाने की कोशिश करेंगे.
हाल ही में हमने बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) बनाई है, जिसके तहत टमाटर, आलू, प्याज के उत्पादन को किसान यदि दूसरे राज्यों में बेचना चाहे तो परिवहन की लागत केंद्र सरकार द्वारा उठाई जाएगी. भंडारण की भी व्यवस्था की जाएगी. छोटी जोत वाले किसानों को कैसे अधिक से अधिक लाभ पहुंचे, इसके लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. एकीकृत खेती के मॉडल विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है.
अंत में शिवराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि को बेहतर करने के लिए दिन और रात युद्धस्तर पर कार्य जारी हैँ. नीतियां ऐसी बनाई जाएंगी, जिससे हमारे किसान भाइयों-बहनों का फायदा हो.
इस अवसर पर केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री भागीरथ चौधरी, तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव, सांसद कोंडा विश्वेश्वर रेड्डी, सांसद चामला किरण कुमार रेड्डी, विधायक, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम एल जाट, वैज्ञानिक, भारत सरकार व राज्य सरकार के अधिकारी शामिल रहे.
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