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पंतनगर में संरक्षित व सघन खेती पर वैज्ञानिकों का प्रशिक्षण

पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सस्य विज्ञान के संकाय उच्च प्रशिक्षण केंद्र द्वारा ‘सघन खेती में संरक्षित कृषि’ विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र महाविद्यालय के सभागार में आयोजित हुआ, जिसमें कुलपति, प्रो. ए.के मिश्रा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, द्वारा प्रायोजित है।

पंतनगर विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सस्य विज्ञान के संकाय उच्च प्रशिक्षण केंद्र द्वारा ‘सघन खेती में संरक्षित कृषि’ विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र महाविद्यालय के सभागार में आयोजित हुआ, जिसमें कुलपति, प्रो. ए.के मिश्रा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, द्वारा प्रायोजित है।

कुलपति मिश्रा ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भारत की 55 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि व इससे संबंधित क्षेत्रों से जुड़ी है। भारत द्वारा कृषि के क्षेत्र में की गई अभूतपूर्व प्रगति के साथ-साथ विश्व भूख सूचकांक में इसका 100 वें स्थान पर होना दो विरोधाभासी पहलुओं को उजागर करता है जिसे दूर किया जाना आवश्यक है। उन्होंने भूमि व जल जैसे संसाधनों की कमी को देखते हुए संरक्षित खेती व सघन खेती को अति आवश्यक बताया, जिनसे संसाधनों का अपव्यय न हो तथा किसानों की लागत में कमी के साथ-साथ उत्पादन वृद्धि हो व किसान की आय दोगुनी हो सके। कुलपति ने भूमि की कमी को देखते हुए ऊध्र्व खेती अपनाकर बिना भूमि की खेती व गमलों व बड़े पात्रों में खेती को बढ़ावा देने की बात कही। खेती की नवीन तकनीकों में जैव तकनीक, नैनो तकनीक, सूचना तकनीक इत्यादि आधुनिक तकनीकों के समावेश पर उन्होंने बल दिया।

कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डा. जे. कुमार, एवं विश्वविद्दालय के निदेशक शोध, डा. एस.एन. तिवारी ने कृषि वैज्ञानिकों की तकनीकों से विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त हुई उपलब्धियों को गर्व का विषय बताते हुए विभिन्न संसाधनों, जैसे जल, उर्वरक, कीटनाशी इत्यादि के आवश्यकता से अधिक प्रयोग करने से हो रहे अपव्यय पर चिंता प्रकट की तथा इसे रोकने के लिए संरक्षित खेती को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने पूरे खेत के स्थान पर प्रति पौधे की आवश्यकता के अनुसार संसाधनों का प्रयोग करने की तकनीक, जीपीएस तकनीक इत्यादि के प्रयोग को आज की कृषि की आवश्कयता बताया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में संकाय उच्च प्रशिक्षण केन्द्र के निदेशक, डा. डी.एस. पांडे, ने इस प्रशिक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित होने वाले इस प्रशिक्षण को 37वां संस्करण बताया, जिसमें देश के 10 राज्यों से 22 वैज्ञानिक प्रतिभाग कर रहे हैं। इससे पूर्व पाठ्यक्रम समन्वयक, डा. एम.एस. पाल, ने सभी प्रतिभागियों, मंचासीन अतिथियों व वैज्ञानिकों तथा उपस्थित जनों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र के अंत में पाठ्यक्रम सह-समन्वयक, डा. राजीव कुमार ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। यह 21 दिवसीय प्रशिक्षण 1 मार्च 2018 को सम्पन्न होगा।

English Summary: Training for scientists at Pantnagar university Published on: 09 February 2018, 06:25 AM IST

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