पंतनगर विश्वविद्यालय में पिछले एक सप्ताह से चल रहे मौनपालन पर प्रशिक्षण का समापन हो गया। प्रशिक्षण के समापन समारोह में उपस्थित विश्वविद्यालय के निदेशक शोध, डा. एस. एन. तिवारी, एवं निदेशक प्रसार शिक्षा, डॉ. वाई. पी. एस. डबास, ने किसानों को मौनपालन अपनाने की सलाह दी तथा मौनपालन हेतु किसानों की हरसम्भव सहायता एवं मार्गदर्शन करने की विश्वविद्यालय की वचनबद्धता को दोहराया। उन्होंने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण सम्पन्न करने पर प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र भी दिए। परियोजना अधिकारी, डॉ. एम.एस.खान ने बताया कि इस प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य किसानों व बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही कृषि के साथ-साथ मौनपालन को अपनाकर आय में वृद्धि करना था, जिससे उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके। यह भी बताया गया कि, परियोजना में प्रशिक्षण प्राप्त किसानों व बेरोजगार युवाओं को निःशुल्क मौनपेटिका एवं मौनवंश उपलब्ध कराने का प्रावधान भी रखा गया है।
भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा चलाए जा रहे, कृषि कल्याण अभियान के तहत चिन्हित आकांक्षापूर्ण जनपद ऊधमसिंह नगर के चयनित 25 गांवों के किसानों व बेरोजगार युवाओं को नेशनल बी बोर्ड, तथा केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा पोषित परियोजना, एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र, के अंतर्गत पंतनगर केन्द्र द्वारा दिये गये इस प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय के विभिन्न वैज्ञानिकों के अतिरिक्त डॉ. हरीश तिवारी, मौनपालन विशेषज्ञ, राज्य मौनपालन शोध एवं प्रसार केन्द्र, ज्योलिकोट; डॉ. रामेश्वर सिंह, जिला उद्यान अधिकारी, उधमसिंह नगर; बी.डी. काण्डपाल, वरिष्ठ अधिशासी, प्रदेश मौनपालन प्रसार केन्द्र/बहुउद्योगीय प्रशिक्षण केन्द्र/खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, हल्द्वानी; डॉ. सी. तिवारी, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र, काशीपुर; एवं एच. के. बोरा, मौनपालन विशेषज्ञ, नेशनल बी बोर्ड, द्वारा किसानों को इस सात-दिवसीय प्रशिक्षण में मौनपालन से संबंधित मौलिक सिद्धांत एवं प्रबंधन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।
समापन समारोह में डॉ. अनिल कुमार, संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा; डॉ. पूनम श्रीवास्तव, सहायक निदेशक, मधुमक्खी शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र; डॉ. सी. तिवारी, प्रभारी कृषि विज्ञान केन्द्र, काशीपुर; एवं विक्रमजीत सिंह, प्रगतिशील मौनपालक, उपस्थित थे।
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