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सदियों की कवायद के बाद बने भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध

अफगानिस्तान में अभी अफरातफरी का माहौल है. तालिबानियों ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है. हालात इस कदर संजीदा हो चुके हैं कि कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. अपनी जान बचाने के लिए लोग वहां से निकलने की कोशिशों में लगे हैं, लेकिन वर्तमान में वहां जो कुछ भी हो रहा है, उससे भारत के व्यापार पर व्यापक असर पड़ रहा है.

सचिन कुमार
trade between India and Afghanistan
trade between India and Afghanistan

अफगानिस्तान में अभी अफरातफरी का माहौल है. तालिबानियों ने पूरे देश पर कब्जा कर लिया है. हालात इस कदर संजीदा हो चुके हैं कि कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. अपनी जान बचाने के लिए लोग वहां से निकलने की कोशिशों में लगे हैं, लेकिन वर्तमान में वहां जो कुछ भी हो रहा है, उससे भारत के व्यापार पर व्यापक असर पड़ रहा है.

एक तो पहले से ही भारत ने वहां करोड़ों रूपए का निवेश किया हुआ है. वहीं,अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के बाद से भारत से उसके सारे कारोबार संबंध ख़त्म होने की कगार पर हैं. जिससे उन सभी व्यापारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जिनका कारोबार अफगानिस्तान से होने वाले ड्राई फ्रूट्स के आयात पर निर्भर था. 

खारी बावली के ड्राई फ्रूट्स के कारोबारियों को भी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जब से अफगानिस्तान में ताबिलानियों का कब्जा हुआ है, तब से सभी ड्राई फ्रूट्स का आयात बंद कर दिया गया है. खारी बावली के व्यापारियों के अनुसार, अफगानिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है, वह चिंता का विषय है.

इससे कारोबार में घाटा हो रहा है. कारोबारी खुद को विकल्पविहीन महसूस कर रहे हैं. ड्रैगन फ्रूट से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि हमारा सारा कारोबार तो अफगानिस्तान पर निर्भर है.

अब ऐसे में जब अफगानिस्तान में शांतिपूर्ण स्थिति नहीं है तो भला हम अपने व्यापार को कैसे फलीभूत करने के बारे में सोच सकते हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, वर्ष 2020-21 में भारत ने अफगानिस्तान से 37,00 करोड़ रूपए के ड्रैगन फ्रूट का आयात किया था. केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में उपयोग में आने वाले ड्रैगन फ्रूट  का करीब 85 फीसदी हिस्सा अफगानिस्तान से आयात किया जाता है.

 बहुत पुराना है इतिहास

अफगानिस्तान और खारी बावली के बीच के व्यापारिक इतिहास को समझना चाहते हैं तो इसके लिए मुगलकालीन इतिहास पर भी गौर करना होगा. दरअसल, खारी बावली, चांदनी चौक हमेशा से ही मुगलों के लिए व्यापारिक केंद्र रहे हैं. बताया जाता है कि उस वक्त भी भारतीय व्यापारी काफी मात्रा में अफगानिस्तान से माल आयात करते थे, जो सिलसिला अब तक चला आ रहा है.

भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद पेशावर के अधिकांश व्यापारी दिल्ली के खारी बावली इलाके में ही रहकर अपने व्यापार को फलीभूत करने में जुट गए. यह उसी का नतीजा है कि आज की तारीख में अधिकांश ड्रैगन फ्रूट के व्यापारी पुरानी दिल्ली में देखने को मिलते हैं और अपना ज्यादातर माल अफगानिस्तान से आयात करते हैं. भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध किसी एक दिन की घटना का परिणाम नहीं है, बल्कि एक लंबी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच व्यापारिक ताल्लुकात बने थे. पर अब ये व्यापारिक सम्बन्ध कौन- सा नया मोड़ लेंगें, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता.

English Summary: Trade Relations between India and Afghanistan Published on: 31 August 2021, 07:27 PM IST

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