बेतिया। मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती की पटकथा नरकटियागंज के महुआवा में भी लिखी जा रही है। यहां के किसान मोहम्मद शाहिद की बदौलत ऑस्ट्रेलिया के काला टमाटर का स्वाद अब चंपारणवासी चखेंगे। आधुनिक खेती से शुगर, कैंसर और हर्ट अटैक जैसी बीमारियों से लोगों को बचाने की ललक ने शाहिद को इस कदर प्रेरित किया कि वे काला टमाटर की खेती करने के लिए मचल उठे। धान और गन्ने की खेती से इतर कुछ अलग करने का जज्बा आज शाहिद की दो एकड़ खेत में दिखाई दे रहा है। पौधे तैयार हो गए हैं और चेहरे पर खुशियां भी हिलोरें मार रही हैं। पूछने पर बताते हैं कि इंटरनेट और मोबाइल जब खेत में पहुंच गया तो ऑस्ट्रेलिया के टमाटर की भला क्या औकात? मार्च में इसका स्वाद चंपारणवासियों को चखा देंगे। मोहम्मद शाहिद को काला टमाटर की खेती करने के लिए प्रेरित करने वाले बीज दुकानदार सोनू बताते हैं कि आनेवाले दिनों में यह क्षेत्र काला टमाटर की खेती का हब बनेगा, इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। शाहिद की जिद ने उन्हें इसकी बीज को मंगाने और प्रत्यक्षण करने को बाध्य कर दिया। पहले इसकी खेती केवल हिमाचल प्रदेश में होती थी, लेकिन अब यहां भी इसकी शुरुआत किसानी के लिए शुभ संकेत है।
नमकीन होगा स्वाद
इस टमाटर की खासियत होगी कि इसका स्वाद अन्य टमाटर की तरह खट्टा या मीठा नहीं बल्कि नमकीन होता है। काला टमाटर की खेती जनवरी में शुरू की जाती है और यह दो माह के अंदर फल देने लगता है। जनवरी से मार्च का समय इसकी खेती के लिए प्रतिकूल माना गया है।
स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
काला टमाटर का बीज जेनेटिक म्यूटेशन से तैयार होता है। इसमें फ्री रेडिकल्स से लड़ने की क्षमता अधिक होती है। इंसान के शरीर में रेडिकल्स सेल्स अधिक सक्रिय होकर स्वास्थ्य सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। शुगर को नियंत्रित और कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम करने में ये कारगर साबित होता है। इसमें विटामिन ए और सी के अलावा एंथोसाइ¨नन भी पाया जाता है जो हर्ट अटैक से बचाने में कारगर होता है।
साभार
दैनिक जागरण
Share your comments