सरकार घरेलू स्तर पर विकसित बी.टी. कपास की तीन किस्मों की वाणिज्यिक बिक्री को जल्द मंजूरी दे सकती है। ये किस्में अब पेटेंट खत्म हो चुकी बॉलगार्ड तकनीक का इस्तेमाल कर विकसित की गई हैं। अधिकारियों ने बताया कि सरकार की कृषि अनुसंधान शाखा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने पी.एयू-1, आर.एस.2013और एफ-1861 बीजों की वाणिज्यिक बिक्री शुरू करने का सुझाव दिया है। बाजार में बी.टी. कपास की उपलब्ध ज्यादातर किस्मों के लाइसेंस मोनसैंटो देती है।
मोनसैंटो ने सबसे पहले बीजी-1तकनीक के सब-लाइसेंस देना शुरू किया था। इस तकनीक का पेटेंट 2006में खत्म हो गया। अब यह कंपनी बीजी-2के सब-लाइसेंस जारी करती है। इस तकनीक के इस्तेमाल से उत्पादित बीजों की हिस्सेदारी भारतीय कपास बाजार में 95 फीसदी है। तीसरी तकनीक बीजी-3 पर काम पर चल रहा है, लेकिन इसके वाणिज्यिक उपयोग को अभी मंजूरी नहीं दी गई है।
ये है बी.टी. कपास की नई किस्मों की विशेषता
1- घरेलू स्तर पर विकसित बी.टी. कपास की नई किस्मों की विशेषता यह है कि इन बीजों का फिर से उपयोग किया जा सकता है। इस वजह से उनके दाम बीटी कपास की वर्तमान किस्मों से काफी कम रखे गए हैं। इस समय बाजार में बीटी कपास की उपलब्ध ज्यादातर किस्मों के लाइसेंस मोनसैंटो देती है।
2- अगर नए बीजों के दाम वर्तमान बीजों से काफी कम रखे गए तो इनकी ओर उन क्षेत्रों के किसान आकर्षित हो सकते हैं, जहां पिंक बॉलवॉर्म एक बड़ी समस्या नहीं है।
3- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों में खतरनाक पिंक बॉलवॉर्म एक बड़ी समस्या है। नीति आयोग ने भी हाल में जारी तीन वर्षीय (2017-18 से 2019-20) प्रारूप कार्रवाई एजेंडा में घरेलू संस्थानों और कंपनियों द्वारा विकसित जीन संवर्धित बीजों का समर्थन किया है।
4- इस बीच अधिकारियों ने कहा कि इन जीन संवर्धित किस्मों की औसत कपास उत्पादकता करीब 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है, जो उपलब्ध परंपरागत कपास की किस्मों से ज्यादा है और कपास की वर्तमान किस्मों की औसत उत्पादकता के काफी नजदीक है।
5- बीटी कपास की भारतीय किस्मों की वाणिज्यिक बिक्री शुरू करने का फैसला ऐसे समय लिया जा रहा है जब बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसैंटो ने भारत में नई बीज तकनीक लाने में अपनी रफ्तार कम करने का फैसला किया है। उसने यह कदम लाइसेंस फीस को लेकर कुछ लाइसेंसधारकों से झगड़े के बाद यह कदम उठाया है।
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