ICRISAT: अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी) में मंगलवार को शुष्क भूमि को बदलने के लिए इनोवेशन पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस उद्घाटन सत्र में बोलते हुए कृषि मंत्री एस. निरंजन रेड्डी ने जलवायु परिवर्तन, बदलती जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा की चुनौतियां, शुष्क भूमि की खेती और विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को होने वाली समस्याओं के बारे में चिंता व्यक्त की है और उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से शुष्क भूमि की खेती की स्थितियों में सुधार करने का आग्रह भी किया.
मंत्री ने कहा कि दुनिया में 50% खाद्य उत्पादन शुष्क और अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में हो र हा है. हालांकि इसमें कृषि योग्य भूमि 40 प्रतिशत शामिल है. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयासों में प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता की सुरक्षा शामिल होनी चाहिए और उनका उद्देश्य खेती को टिकाऊ बनाना होना चाहिए.
अफ्रीका और एशिया में खेती में सुधार के लिए पिछले 50 वर्षों में आईसीआरआईएसएटी की सेवाओं की सराहना करते हुए मंत्री ने कहा कि यह पर्यावरण संरक्षण, पोषण सुरक्षा, उपयुक्त प्रौद्योगिकियों और खेती के तरीकों को विकसित करके शुष्क भूमि की खेती पर रिसर्च कर रहा है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन जैव विविधता के बढ़ते खतरे, मिट्टी के स्वास्थ्य में गिरावट, जलवायु परिवर्तन और घटती उत्पादकता से निपटने के लिए समाधान ढूंढेगा.
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