इस सीजन में गेहूं की बुवाई शुरू हो चुकी है. इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार के कृषि मंत्री डॉ० प्रेम कुमार ने कहा कि जनवरी माह में 1 जनवरी से 18 जनवरी के बीच मौसम में उतार-चढ़ाव देखा गया है. इस अवधि में सामान्य तापमान की अपेक्षा अधिकतम तापमान में 3 डिग्री सेंटीग्रेड एवं न्यूनत्तम तापमान 2 डिग्री सेंटीग्रेड की कमी दर्ज की गयी है. इस बीच सूर्य की रोशनी के घंटों में भी कमी हुई है. यह स्थिति गेहूँ की फसल के लिए काफी उपयुक्त है. दिनांक 1 से 18 जनवरी के बीच अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान कम रहने के कारण गेहॅूँ के पौधों में कल्लों की संख्या में अपेक्षाकृत ज्यादा वृद्धि हुई है. साथ ही, वातावरण में आर्द्रता का प्रतिशत अधिक रहने के फलस्वरूप मिटटी में नमी की मात्रा भी बनी रही है. इसके कारण गेहूँ के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व समुचित मात्रा में उपलब्ध होती रही है. इस अवधि में गेहूँ के फसल पर किसी प्रकार के कीट एवं व्याधि का प्रकोप नहीं देखा गया है.
माननीय मंत्री ने कहा कि इस प्रकार यह मौसम गेहूँ के फसल के लिये काफी उपयोगी तथा अधिक उपज देने के लिए अनुकूल है. गेहूँ के फसल में इस समय कल्ले अधिक निकल रही है तथा इसका बढ़वार भी ठीक ढंग से हो रहा है. इसे देखते हुए गेहूँ की खड़ी फसल में किसान भाई-बहन दूसरी सिंचाई तथा नाईट्रोजन का उपरिवेशन अवश्य करें. साथ ही, समय-समय पर गेहूँ के फसल की देखभाल करते रहें. यदि खेतों में गेहूँ की फसल में खरपतवार दिखाई दे तो अपने नजदीक के कृषि पदाधिकारी अथवा कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श लेकर खरपतवार के नियंत्रण हेतु समुचित उपाय अवश्य करें.
डॉ० कुमार ने कहा कि यदि मौसम अनुकूल रहा तो राज्य में इस वर्ष गेहूँ का रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी. कृषि विभाग के पदाधिकारियों को मौसम एवं फसल की स्थिति पर सतत् निगरानी रखने का निदेष दिया गया है.
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