भारत एक तरफ जहां खेती के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. वहीं, दूसरी तरफ पशुपालन भी इसका महत्वपूर्ण अंग है. देश के किसानों के लिए खेती जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण पशुपालन (animal husbandry) भी है. पशुपालन किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय है, जिसमें किसान पशुपालन कर लाखों कमा रहे हैं.
इसी कड़ी में हरियाणा में बकरियों से अधिक आय प्राप्त करने के लिए एवं उनकी नस्ल सुधार हेतु केंद्रीय भेड़ प्रजनन फार्म ने एआइ तकनीक (AI Technique) से बकरियों पर अब कृत्रिम गर्भाधान (artificial insemination) प्रयोग करने की क्रिया चालू की है. इससे अब अच्छे नस्ल के बकरियों की पैदा होंगी. जिससे पशुपालकों को अधिक लाभ मिलेगा.
कृत्रिम गर्भाधान से उत्पन्न बकरी की ख़ास विशेषताएं (Characteristics of Goat Born From Artificial Insemination)
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एआइ तकनीक से उत्पन्न बकरी 1.5 लीटर दूध देती है एवं दूध में प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है.
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इस तकनीक से बकरी के बच्चे का वजन सामान्य बकरी के बच्चे के मुकाबले में डेढ़ गुना ज्याद होता है यानि की सामान्य बकरी के बच्चे का वजन डेढ़ किलोग्राम होता है, तो वहीं एआइ तकनीक से उत्पन्न बकरी के बच्चे का vजन तीन किलोग्राम होता है.
कृत्रिम गर्भाधान के लाभ (Benefits of Artificial Insemination)
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इस तकनीक से अच्छे नस्ल की बकरियां पैदा की जा सकती हैं.
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अच्छे बकरे के वीर्य को उसकी मृत्यु के बाद भी प्रयोग किया जा सकता है.
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इस विधि में धन एवं श्रम की बचत होती है, क्योंकि पशु पालकों को बकरी पालने की आवश्यकता नहीं होती.
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इस विधि में पशुओं के प्रजनन सम्बंधित रिकार्ड रखने में आसानी होती है.
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इस विधि में विकलांग या असहाय जानवरों का प्रयोग भी प्रजनन के लिए किया जा सकता है.
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कृत्रिम गर्भाधान में बकरे के आकार या भार का मादा के गर्भाधान के समय कोई फर्क नहीं पड़ता.
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कृत्रिम गर्भाधान विधि में नर से मादा तथा मादा से नर में फैलने वाले संक्रामक रोगों से बचा जा सकता है.
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इस तकनीक अच्छी नस्ल और अधिक वजन के बकर, बकरियां पैदा होंगे और उनमें मांस भी अधिक होगा.
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इस तकनीक से अच्छे नस्ल के बकरे से 100-100 बकरियों का गर्भाधान कराया जा सकता है
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