इस समय तालिबान चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी बीच तालिबान (Taliban) ने अपना सरकार भी बना ली है. हालांकि, अफगानिस्तान में तालिबान की यह कार्यवाहक सरकार है. वहीं, इस दौरान तालिबान में कई बड़े बदलाव भी किए जा रहे हैं.
इससे जुड़ा एक अहम बदलाव यह भी है कि अब अफगानिस्तान में अफीम की खेती (Opium Cultivation) पर रोक लगा दी गई है. दरअसल, तालिबान ने अफगानिस्तान के कई गांवों के किसानों को अफीम की खेती ना करने का फरमान सुना दिया है. फरमान में कहा गया है कि अब किसान अफीम की खेती (Opium Cultivation) ना करें, क्योंकि इसे देश में बैन किया जा रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे ज्यादा कंधार और आसपास के इलाके में अफीम की खेती (Opium Cultivation) की जाती है. जहां किसानों को इसे रोकने के लिए कहा गया है. इस फरमान का असर यह हुआ कि अफगानिस्तान के बाज़ार में अफीम की कीमत बढ़ गई है.
जानकारी के मुताबिक, अफीम की कीमत 70 डॉलर प्रति किग्रा. से सीधा 200 डॉलर प्रति किग्रा तक पहुंच गई है. ये तो रही तालिबान में अफीम की खेती की बात, लेकिन अब आपको भारत में अफीम की खेती (Opium Cultivation) की स्थिति के बारे में बताते हैं.
भारत में अफीम की खेती
दरअसल, भारत के कुछ राज्यों जैसे- मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में अफीम की खेती (Opium Cultivation) होती है. मगर देश में अफीम की खेती कानूनी तौर पर की जाती है.
यानि इसकी खेती वही किसान कर सकते हैं, जिनके पास लाइसेंस होता है. तो आइए जानते हैं अफीम की खेती के लिए सरकार लाइसेंस कैसे देती है-
अफीम की खेती के लिए लाइसेंस लेने की प्रक्रिया (The process of obtaining a license to cultivate opium)
अफीम की खेती करने के लिए केंद्रीय नारकोटिक्स विभाग लाइसेंस देने और उपज लेने की प्रक्रिया को पूरा करता है. बता दें कि भारत में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अन्य राज्यों में अफीम की खेती (Opium Cultivation) करने का प्रयास किया गया है, लेकिन वहां का मौसम खेती के लिए अनुकूल नहीं है, इसलिए उन राज्यों के किसानों के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए.
जैसा कि हम बता चुके हैं कि मौजूदा समय में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान अफीम की खेती (Opium Cultivation) कर रहे हैं. ऐसे में खेती का लाइसेंस उन्हीं किसानों को मिलता है, जो पहले से ही अफीम की खेती कर रहे हैं और सरकारी नियमों का पालन किया हो. इसके साथ ही सरकार के मापदंडों के मुताबिक, उत्पादन और गुणवत्ता दी हो.
जानकारी के लिए बता दें कि पात्र किसानों को अफीम का खेती लाइसेंस (Opium Cultivation License) एक साल के लिए दिया जाता है. इसके बाद फिर से नया लाइसेंस जारी किया जाता है. सरकार अपनी अफीम नीति के तहत लाइसेंस देती है. इस लाइसेंस के लिए कोई आवेदन नहीं करना पड़ता है, बल्कि पहले से मौजूद रिकॉर्ड के आधार पर ही लाइसेंस दिया जाता है.
यह भी देखा जाता है कि जो किसान इसकी खेती कर रहा है उसके ऊपर स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम-1985 का कोई आरोप तो नहीं है.
क्या है वर्ष 2020-21 की अफीम नीति? (What is the Opium Policy for the year 2020-21?)
साल वर्ष 2020-21 के लिए केंद्र सरकार द्वारा अफीम नीति जारी कर दी है. इस नीति के तहत क्षेत्रों में किसानों को अफीम के पट्टे जारी कर दिए गए हैं, तो वहीं अफीम की खेती करने वाले किसानों को सरकार ने कुछ सौगातें भी दी है.
इस साल अफीम खेती के लिए आवश्यक न्यूनतम मार्फिन का मानक 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रखा गया है. बता दें कि पिछले साल देश के 39 हजार किसानों ने अफीम की खेती की थी.
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