यह दर्द भी वाजिब है. यह शिकवा भी वाजिब है. अगर कुछ वाजिब नहीं है, तो वो है सरकार की कार्यशैली. अगर कुछ वाजिब नहीं है, तो वो है किसानों के दर्द को अनसुना करने की रवायत. अगर कुछ वाजिब नहीं है, तो वो है किसानों को नजरअंदाज करने का शगल. जी हां...यह शगल नहीं तो और क्या है? यह रवायत नहीं तो और क्या है? आजादी के सात दशकों के बाद आज भी अन्नदाताओं की बदहाली जस की तस बनी हुई है. आज भी किसान दर्द का चौगा पहनने को मजबूर हैं. हमारे किसान भाइयों में इस प्राकृतिक विपदा को झेलने की कुव्वत तक नहीं है. आखिर कौन है, इसका जिम्मेदार? अगर यह सवाल वाजिब नहीं है, तो आप ही बताइए फिर क्या वाजिब रहेगा?
ताउते के कहर के शिकार हुए किसानों की बदहाली का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि उनकी फसलों को कोई पूछने वाला तक नहीं है. मेहनत से उगाई गई फसलों को वो अब मिट्टी के भाव बेचने पर मजबूर हो चुके हैं. Corona के कहर की वजह से उनका हाल पहले से ही बेहाल चल रहा था. देशभर की मंडियों में ताला लगने से किसान भाइयों को यह समझ नहीं आ रहा है कि वे अपनी फसलों को कहां बेचे? पहले सेही औने-पौने दाम पर अपनी फसलों को बेचने पर मजबूर हो चुके किसानों की बदहाली को इस कंबख्त ताउते ने और बढ़ा कर रख दिया है.कोरोना से तो जैसे-तैसे किसानों ने निपट लिया था, मगर ताउते ने इनके दर्द को और गहरा करदिया है.
खासकर, प्याज उगाने वाले किसानों का इस ताउते ने पूरा खेल ही बिगाड़ दिया है. ताउते का यह कहर ऐसे में समय में बरपा है, जब किसान भाइयों के प्याज की फसल बाजार में बिकने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी. किसान भाइयों को पूरी उम्मीद थी कि कोरोना से निपटने के लिए जिस तरह के कदम सरकार की तरफ से उठाए जा रहे हैं, उससे आने वाले दिनों में कोरोना के कहर पर जरूर विराम लगेगा, मगर अफसोस मौजूदा समय में इसके कुछ खास आसार नजर नहीं आ रहे हैं और दूसरी तरफ ताउते के कहर ने किसानों की बदहाली को और बढ़ा दिया है.
बर्बाद हुई किसानों की फसल (Crop of farmers Wasted)
किसान भाई कहते हैं कि ताउते के कहर के शिकार होने की वजह से उनकी फसल तैयार होने से पहले ही खराब हो चुकी है. अब इस नुकसान की भरपाई कौन करेगा? यहप्रशासनअभी-भी अनुउत्तरित बना हुआ है. किसान भाइयों का कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. इससे पहले भी प्राकृतिक विपदा का शिकार होकर उनकी फसलें बर्बाद हुईं हैं, मगर सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए थे. आखिर में जाकर उन्हें नुकसान का ही सामना करना पड़ा.
कीमतों में लगेगी आग
बताया जा रहा है कि ताउते केवजह से प्याज की कीमत में आग लगेगी, चूंकि आपूर्ति कम हो गई है. बेशक, मौजूदा समय में मांग भी कम है, मगर सभी की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्याज की कीमतों में भारी इजाफा देखने को मिल सकता है, चूंकि भारी मात्रा में किसान भाइयों की फसलें बर्बाद हुई हैं.
लेकिन, राहत में हैं ये किसान
मगर इस बीच महाराष्ट्र के किसान राहत की सांस ले रहे हैं, क्योंकि उन्होंने ताउते के कहर के पहले ही अपनी फसलों को निकाल लिया था, जिसकी वजह से यह राहत की सांस लेते हुए नजर आ रहे हैं. कर्नाटक के किसान भी राहत में हैं, उन्हें भी कुछ खास नुकसान नहीं हुआ है, मगर इस बीच बिहार समेते उत्तर प्रदेश के किसान मुश्किल के दौर में हैं. इन राज्यों के किसानों की फसलों को खासा नुकसान हुआ है.
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