हिलसा मछली के शिकार के लिए बंगाल के मछुआरे फिर समुद्र में कूद पड़े हैं. दक्षिण 24 परगना के विभन्न समुद्र तट व मत्स्य बंदरगाह से मछुआरों को लेकर करीब तीन हजार मछली मारने वाला जहाज (Trawler) गहरे समुद्र की ओर रवाना हुए. ट्रावलर्स में मछुआरों ने करीब 10 दिनों के लिए भोजन पानी की भी व्यवस्था कर ली है. जाहिर है वे 10 दनों के बाद 3000 ट्रावलर हिलसा मछली से भरकर वापस लौटेंगे. दूसरी बार मछुआरों और मत्स्य व्यवसायियों को पर्याप्त मात्रा में हिलसा मछली हाथ लगने की उम्मीद है. 15 जून से समुद्र में में हिलसा पकड़ने की शुरूआत होने पर प्रारंभ में तो मछुआरों को 40 टन मछली पक़ने में सफलता मिली थी. लेकिन मौसम खराब होने और समुद्र में निम्न दबाव की आशंका बढ़ने पर उन्हें चार दिनों में भी वापस लौट आना पड़ा.उसके बाद एक दो बार मछुआरे जरूर समुद्र में गए लेकिन बारिश नहीं होने के कारण उन्हें पर्याप्त हिलसा मछली नहीं मिली.
रिमझिम बारिश में बांग्लादेश से उच्च गुणवत्ता वाली हिलसा मछली समुद्र के रास्ते बंगाल की खाड़ में पहुंचती है.जुलाई के तीसरे सप्ताह में रिमझिम बारिश शुरू होने पर मछुआरों की उम्मीदें जगी और वे फिर 3000 ट्रावलों पर सवार होकर मछली मारने के सारे संरजाम के साथ समुद्र की ओर रवाना हुए हैं.10 दिनों के बाद जब वे समुद्र से लौटेंगे तो पता चलेगा कि उन्हें किस मात्रा में हिलसा मछली पकड़ने में सफलता मिली है.
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जून के तीसरे सपताह में 40 टन हिलसा मछली की पहली खेप पहुंचने पर बाजारों में चहल पहल बढ़ी थी. लेकिन उसके बाद मौसम अनुकूल नहीं होने पर मछुआरों को काफी देर इंतजार करना पड़ा. इसलिए हिलसा की कमी देखने को मिली और बाजारों में निराशाना छा गई. वैसे प्रशासन को भी इस बार भारी मात्रा में हिलसा मछली बाजार में पहुंचने को लेकर उम्मीदें बढ़ी है. इसलिए प्रशासन ने डायमंड हार्बर स्थित थोक मछली बाजार को सेनेटाइज कर कर दिया है ताकि मछली की खरीद बिक्री में कोई बाधा उत्पन्न न हो. थोक विक्रेताओं समेत खुदरा व्यापारियों के लिए भी बाजार में पहुंचने के लिए मास्क पहचना और हाथ में दस्ताना लगाना अनिवार्य कर दिया गया है. पहली खेप में जो हिलसा बाजार में पहुंची थी वह 500 ग्राम से लेकर 1 किलो ग्राम वजन की उच्च गुणवत्ता वाली थी.थोक बाजार में हिलसा की बिक्री 500-650 रुपए प्रति किलो की दर से शुरू हुई थी. इस बार दूसरी खेप पहुंचने पर खुदरा बाजार में 600-800 रुपए प्रति किलो की दर हिलसा की बिक्री होगी. उच्च गुणवत्ता की हिलसा मिलने से मछुआरों को भी इस बार अच्छा दाम मिलने की उम्मीदें बढ़ी है.
मत्स्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक तटवर्ती जिला उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना व पूर्व मेदिनीपुर के मछुआरों समेत समेत हावड़ा, हुगली मुर्शिदाबाद और नदिया आदि दक्षिण बंगाल के लगभग दो लाख मछली व्यापारियों की आजीविका हिलसा मछली के व्यवसाय पर निर्भर है. पिछले वर्ष राज्य में हिलसा का औसत उत्पादन 5 हजार मेट्रिक टन था जो मानसून के दौरान बढ़कर 15 हजार मेट्रिक टन पहुंच गया. मत्स्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस बार प्रारंभ में हिलसा की आवक बढ़ी थी लेकिन मौसम अनुकूल नहीं होने कारण मछुआरे इसका लाभ नहीं उठा सके. अभी दो एक- डेढ़ माह समय है. मौसम अनुकूल होने और वर्षा का रफ्तार जारी रहने पर इस बार राज्य में हिलसा मछली का उत्पादन बढ़कर 19-20 हजार मेट्रिक टन पहुंचने की उम्मीद है.
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