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फसल को कितनी खाद और पानी की ज़रूरत है, अब ड्रोन देगा जानकारी

खेती-बाड़ी को आसान बनाने के लिए नई-नई तकनीक विकसित हो रही हैं. इसी कड़ी में आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के वैज्ञानिक ने एक खास तकनीक पर शोध कराया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा भविष्य में ड्रोन (Drone) के जरिए खेती की मॉनिटरिंग कराने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें यह शोध काफी कारगर साबित होगा.

कंचन मौर्य
Drone
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खेती-बाड़ी को आसान बनाने के लिए नई-नई तकनीक विकसित हो रही हैं. इसी कड़ी में आईआईटी रुड़की (IIT Roorkee) के वैज्ञानिक ने एक खास तकनीक पर शोध कराया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा भविष्य में ड्रोन (Drone) के जरिए खेती की मॉनिटरिंग कराने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें यह शोध काफी कारगर साबित होगा.

क्या है नई तकनीक

इसे एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग सिस्टम से जाना जाएगा. इसमें ड्रोन की मदद ली जाएगी, जो किसानों को बताएगा कि किस फसल को कितनी खाद और पानी की जरूरत है. यह बताएगा कि फसल में रोग लगा है या फिर रोग लगने की आशंका है.

ड्रोन से निगरानी को मिली मंजूरी

करीब एक साल पहले केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Prime Minister Crop Insurance Scheme) के तहत 100 से अधिक जिलों में फसल की पैदावार के आकलन के लिए ड्रोन से निगरानी को मंजूरी दी गई थी. बता दें कि इस कार्य के लिए करीब 15 हजार से अधिक ड्रोन की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन ने एक तकनीकी सिस्टम विकसित किया है, जिसके तहत ड्रोन के जरिए न केवल पैदावार की निगरानी की, बल्कि फसलों की उपज बढ़ाने में मदद मिल पाएगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिक प्रो. कमल जैन का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर छात्रों को पीएचडी के तहत पर कार्य कराया गया है. इस तकनीक के तहत ड्रोन के कैमरे से ली गई फसलों की तस्वीरों की प्रोसेसिंग की जाती है. तस्वीर में कलर और पैटर्न के आधार पर विश्लेषण किया जाता है, जिसे डीप लर्निंग या मशीन लर्निंग कहा जाता है.

इस आधार पर सटीक जानकारी मिल पाती है कि किस क्षेत्र में फसल में क्या रोग लगा है, तो वहीं फसल को कितने खाद-पानी या फिर कीटनाशक की जरूरत है. जब पूरी जानकारी मिल जाएगी, तब इसे किसानों तक पहुंचाया जाएगा.

टिड्डियों के नियंत्रण में भी कारगर

देशभर के कई राज्यों में टिड्डियों का फसलों पर हमला भी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. इस क्षेत्र में ड्रोन एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका है. हालांकि, इससे टिड्डी दल के हमले का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन हमले के बाद किस फसल पर कितना प्रकोप हुआ है, उससे निपटने के लिए क्या उपाय हो सकते हैं, इसकी जानकारी दी जा सकती है.

11 लाख का मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरा

बताया जा रहा है कि ड्रोन एग्रीकल्चर मॉनीटरिंग के लिए मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरा आधारित ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है. इस कैमरे की कीमत करीब 11 लाख रुपए बताई जा रही है. इसमें 5 कैमरे होते हैं, जो अलग-अलग तरह की तस्वीरें खींचते हैं.

English Summary: The drone will give information about how much fertilizer and water the crop needs Published on: 09 January 2021, 12:43 PM IST

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