केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) ने गुलाब की दो नई प्रजातियां विकसित की हैं। पहली प्रजाति को 'नूरजहां' और दूसरी को 'रानी साहिबा' नाम दिया गया है। इनकी खेती लखनऊ, बाराबंकी, अलीगढ़ और कन्नौज क्षेत्र में किसानों ने शुरू कर दी है।
सीमैप के निदेशक प्रफेसर अनिल के त्रिपाठी ने बताया कि गुलाब की कई प्रजातियों की खेती की जाती है इसलिए किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि वह किस प्रजाति की खेती करना चाहते हैं। गुलाब की एक प्रजाति की खेती सजावटी फूलों के लिए तो दूसरी गुलाब जल और अन्य कामों में इस्तेमाल होती है।
संस्था के वैज्ञानिक किसानों को गुलाब की नई प्रजाति की खेती की विधि सिखाते हैं। इन गुलाबों से सीमैप ने कई हर्बल उत्पाद भी बनाए हैं जो बाजार में उपलब्ध हैं। करीब 200 से ऊपर किसानों को गुलाब की खेती की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। साथ ही जो लोग इसकी खेती करने के इच्छुक होते हैं उन्हें कुछ फूलों के नमूने भी दिए जाते हैं।
इन दोनों गुलाब की प्रजातियां खोजने वाले वैज्ञानिक डॉ दिनेश कुमार ने बताया कि एक एकड़ में लगभग 10 हजार पौधे रोपित किए जा सकते हैं। गुलाब की खेती दोमठ और बलुई दोमठ मिट्टी वाले क्षेत्रों में होती है। गुलाब को जड़ों सहित या फिर कलम रोपण से लगाया जा सकता है। जड़ सहित पौधे का मूल्य 20 रुपये प्रति पौधा होता है जबकि पौधे की एक कलम दो रुपये में मिलती है इसलिए ज्यादातर लोग कलम रोपण ही करते हैं।
गुलाब के फूलों की मांग लखनऊ, दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में अधिक है। अगर कमाई की बात की जाए तो गेहूं की फसल में एक एकड़ से अमूमन 40 से 50 हजार रुपये तक कमाई होती है जबकि गुलाब की खेती से ये कमाई 10 लाख या उससे अधिक की हो सकती है।
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