कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार द्वारा कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और खेती के कार्यों को सरल बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए गए. सरकार द्वारा इस लॉकडाउन अवधि में कुछ कार्यों के आकड़े सरकार द्वारा जारी किए गए हैं.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 17 अप्रैल को किसान रथ नाम का एक मोबाईल ऐप लान्च किया था जो किसानों और व्यापारियों की कृषि उत्पादों, अनाज, मोटा अनाज, दलहन आदि) से लेकर फल और सब्जियां, तिलहनों, मसाले, रेशे वाली फसलें, फूल, बांस, लठ्ठे और छोटे वनोत्पाद, नारियल आदि को लाने और ले जाने हेतु परिवहन की सही प्रणाली का पता लगाने में मदद करता है. मौजूदा जानकारी अनुसार कुल 80,474 किसान और 70,581 व्यापारी इस ऐप पर पंजीकृत हो चुके है.
लॉकडाउन-2 के कारण ही देश की सभी थोक मंडियों को 25 अप्रैल तक बंद कर दिया गया था. भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 2587 प्रमुख/मुख्य कृषि बाजार हैं, जिनमें से 1091 बाजार 26 अप्रैल को भी कार्य कर रहे थे. 23 अप्रैल तक, 2067 बाजारों को काम करने लायक बनाया गया है.
दलहन और तिलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का काम देश के 20 राज्यों में चल रहा है. नैफेड और एफसीआई 1,79,852.21 मीट्रिक टन दलहन और 1,64,195.14 मीट्रिक टन तिलहन खरीद चुके हैं जिसका मूल्य 1605.43 करोड़ रुपये आंका गया है, जिससे 2,05,869 किसान लाभान्वित भी हुए हैं.
ग्रीष्मकालीन फसल बुवाई के क्षेत्र में बढ़ोतरी
चावल: पिछले साल की तुलना में इस समय तक 25.22 लाख हेक्टेयर चावल का बुवाई वाला क्षेत्र था जो अब बढ़कर लगभग 34.73 लाख हेक्टेयर हो गया है.
दलहन: पिछले साल की तुलना में इस समय तक 3.82 लाख हेक्टेयर दालों की बुवाई वाला क्षेत्र अब बढ़कर लगभग 5.07 लाख हेक्टेयर हो गया है.
मोटा अनाज: मोटे अनाज भी पिछले साल की तुलना में इस समय तक 5.47 लाख हेक्टेयर बुवाई वाला क्षेत्र अब बढ़कर 8.55 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
तिलहन: तिलहन भी पिछले साल की तुलना में इस समय तक 6.80 लाख हेक्टेयर की बुवाई वाला क्षेत्र अब लगभग 8.73 लाख हेक्टेयर हो गया है.
24 अप्रैल तक रबी फसल की कटाई की स्थिति
गेहूं:
राज्यों के सरकारी आकड़ों के अनुसार अभी तक मध्य प्रदेश में लगभग 98-99% गेहूं की फसल काटी जा चुकी है, राजस्थान में 90-92%, उत्तर प्रदेश में 82-85%, हरियाणा में 50-55%, पंजाब में 45-50% और अन्य राज्यों में 86-88% फसल काटी जा चुकी है.
मतलब साफ़ है कि इन सरकारी आकड़ों के हिसाब से लॉकडाउन का प्रभाव किसानों पर नहीं पड़ा है. यदि पड़ा तो न के बराबर. किसान पिछले साल की तुलना में इस साल तीव्र गति से काम कर रहें है.
नोट : उपरोक्त आकड़े भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता विभाग के वेवसाइट से लिए गए हैं.
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