सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा चलाये गए जैविक खेती जागरूकता अभियान के अंतर्गत मध्य प्रदेश में कार्यरत कंपनी के कर्मचारी और किसानों को सोयाबीन की फसल में जैविक विधि से कीट नियंत्रण हेतु प्रशिक्षण दिया गया है. किसानों को यह प्रशिक्षण राज्य के झाबुआ एवं रतलाम जिले के गांव मछलई माता (पेटलाबाद) एवं सुन्डी (शिवगढ़) में आयोजित किया गया. इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य वर्तमान में खेत में खड़ी सोयाबीन की फसल में कीट नियंत्रण था और वह भी बिना किसी अतिरिक्त खर्च के जरिए. सभी किसानों ने यह प्रशिक्षणकंपनी के वरिष्ठ प्रबन्धक शोध एवं विकास संजय श्रीवास्तव से प्राप्त किया है. इस प्रशिक्षण की शुरूआत इस बात से हुई कि यदि कीट के अगमन की सूचना हमें पहले से ही लग जाए तो कीट क्षति नहीं पहुंचा सकते है। इसके लिए संजय श्रीवास्तव ने खेत में फसल की 10-15 दिन की अवस्था होने पर फेरोमोन ट्रैप लगाने का सुझाव दिया है एंव यह भी बताया कि ट्रैप कैसे लगाये, यहां अलग-अलग कीट हेतु अलग-अलग फेरोमोन होता है.
कीटनाशी बनाने के बारे में बताया गया
किसानों को पीला चिपचिपा ट्रैप पुराने प्लास्टिक के बोरी, शीट जो कि चमकदार पीले रंग के है से कैसे ग्रीस और अरण्डी के तेल का लेप लगाकर बनाना बताया और लगाने का लाभ भी बताया. फेरोमोन ट्रैप में कीट फसने से कीट की उर्वास्थिती का पता चलता है। अब इसके नियत्रंण हेतु किसानों को स्थानीय रूप से उपलब्ध वनस्पति नीम, आक, धतूरा, कनेर, अरण्डी, सीताफल, सदाबहार आदि के पत्तों से कीटनाशी बनाना एवं स्प्रे करना बताया गया है. यहां आए हुए किसानों को थोड़ी मात्रा में पांच पत्ती काढ़ा वितरित किया गया ( जो कि स्थानीय वनस्पति से सुमिन्तर इन्डिया आर्गेनिक्स की स्थानीय टीम ने तैयार किया था)
किसानों को दिए गए कई तरह के प्रशिक्षण
इस प्रशिक्षण के दौरान आए सभी किसानों को नीम, सीताफल आदि के पौधों को भी मुफ्त प्रदान किया गया जिसे वह अपने खेत के आसपास लाए एवं उनके पत्तों से कीटनाशी बनाए. प्रशिक्षण में आए किसानों ने सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स द्वारा तैयार किया गया आर्दश जैविक प्रक्षेत्र को भी देखा जहां पर जैविक विधि से उगाई जा रही सोयाबीन की फसल को भी देखा. यह भी बताया गया कि फेरोमोन टैप कैसे लाए तथा वानस्पतिक कीटनाशी कैसे बनावे एवं स्प्रे करने का तरीका भी किसानों को बताया गया. फसल की बड़वार एवं कीट से क्षति न होता देखकर किसान काफी प्रभावित हुए और उन्हे विश्वास हुआ कि बिना किसी रासायनिक खाद एवं जहरीली हवा के भी खेती करना संभव है.
किसानों ने की प्रशंसा
प्रशिक्षण के समापन पर कंपनी की तरफ से संजय श्रीवास्तव ने किसानों को धन्यवाद दिया एवं कहा कि सुमिन्तर इंडिया आर्गेनिक्स किसानों को सदैव जैविक खेती में तकनीकी सहायता देती रहेगी एवं इस प्रकार के प्रशिक्षण का आयोजन होता रहेगा.सभी किसानों ने प्रशिक्षण एंव प्रक्षेत्र भम्रण की प्रशंसा भी की है.
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