किसान भाइयों, पंजाब हरियाणा, उत्तराखंड व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में धान की कटाई शुरू हो चुकी है, जो कुछ ही दिनों में पूरे चरम पर होगी और ज्यादातर किसान भाई धान की पराली को अड़ंगा, फसल वेस्ट या समस्या मानते है और उससे निजात पाने का सबसे आसान समाधान हैं, उसे खेत मे ही आग लगा देना.
क्या आपने सोचा है जिसे आप समस्या मान रहे है वो कितनी कीमती है.
पराली को वेल्थ बनाइये जो आपके एक एकड़ खेत को लगभग 5 से 10 हजार रुपये की कीमत का फायदा दे सकती है.
पराली जलाने से कितना नुकसान होता है (What is the harm caused by burning stubble)
इसके जलने से सबसे पहले आप की जमीन के सूक्ष्म जीवाणु, मित्र कीट व पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है, जिससे आपको अगली फसल में खाद की मात्रा बढ़ानी पड़ती है तथा फसल में बीमारी भी ज्यादा आती है.
पराली जलने से जो धुंए का गुबार निकलता है वो पर्यावरण के लिए काफी खतरनाक है, इस धुंए से वातावरण में फोग व ठंड बढ़ने से पैदा होता है स्मोग....... जिससे हाइवे पर कई बार गाड़ियां तक टकरा जाती है. लोगों को सांस की बीमारी व सांस लेने में परेशानी होती है और भी बहुत से नुकसान हैं.
पराली (Paddy Straw) को खेत मे मत जलाए (Do not burn Paddy Straw in the field)
इसको इकठ्ठा करके पशुओं के चारे में काम लिया जा सकता है, या इसके ब्लॉक्स यानी गांठे बनाकर बेचा जा सकता है, या खेत में मल्चिंग की जा सकती है, और सबसे महत्वपूर्ण व कीमती है इसको अपने खेत मे ही गला दे.जो किसान भाई समय अभाव या ज्यादा बड़ी जोत होने की वजह से, खेत से पराली को इकट्ठा नही कर सकते हैं या चारा नही बना सकते है, उसे आग मत लगाओ, उस पराली को उस खेत में ही गला दे.
एक एकड़ खेत से लगभग 2 टन पराली मिलती है (About 2 tons of straw is obtained from one acre of farmland)
धान की पराली खेत से लगभग 40 प्रतिशत नाइट्रोजन, 30 प्रतिशत फॉस्फोरस, 80 प्रतिशत पोटाश व 40 प्रतिशत सल्फर को अवशोषित करती है जिसके खेत में गलाने पर कितना ऑर्गेनिक मैटर, कार्बन, नाइट्रोजन, फोस्फोरस, पोटाश, सल्फर तथा अन्य तत्व जमीन को मिल सकते है, जरा उसकी कीमत का अंदाजा लगाइए.
ज्यादातर किसान भाई कहते हैं कि पराली को खेत में गलाने में समस्या आती है. आप की बात बिल्कुल सही है क्योंकि धान की पराली में सेल्यूलोस, हेमिसेल्यूलोस, लिग्निन व सिलिका की मात्रा ज्यादा होती है, जिसकी वजह से ये सख्त होती है और इसे खेत मे गलाने में दिक्कत आती है.
लेकिन हमारे पास है इसको खेत में अच्छी तरह गलाने का समाधान, धान की हार्वेस्टिंग के बाद खेत में रोटावेटर चलाकर धान के खेत में पानी लगा दो, और उसके बाद एक माइक्रोबियल प्रोडक्ट है ( जो ऑर्गेनिक है केमिकल नही है) , इसकी 5 लीटर मात्रा को 10 किलो यूरिया के साथ 300 से 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना है, उसके बाद 7 से 8 दिन बाद दोबारा रोटावेटर चला दें,इससे अगले 7 से 8 दिन यानी कुल 15 दिन में उस खेत की पराली लगभग पूरी तरह से गल जाएगी.
इस प्रोडक्ट के प्रयोग से पराली के खेत मे ही गलने से अनेक लाभ मिलते हैं (By using this product, stubble smelting in the field gives many benefits)
जमीन के अंदर कार्बन की मात्रा बढेगी, जिसके कारण आप के खेत में कार्बन नाइट्रोजन का अनुपात सुधरेगा
आपके खेत की मिट्टी भुरभुरी होगी
खेत की जमीन उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी
मिट्टी की जलधारण क्षमता भी बढ़ेगी
अगली फसल में फ़र्टिलाइज़र की मात्रा भी 30 % तक कम कर सकते हो.
गेंहू या अगली बोई जाने वाली अन्य फसल में खरपतवार का जमाव भी काफी कम होगा.
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