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जैविक खेती के सहारे उपजाई गई साढ़े तीन फुट की लौकी मेले में बनी आकर्षण का केंद्र

हम सभी ने लौकी को खाया है और देखा है जिसका आकार तकरीबन एक या डेढ़ फुट तक ही होता है. लेकिन अगर आप इसी लौकी को बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग करेंगे तो देसी लौकी के आकार को आप साढ़े तीन फुट तक बढ़ा सकते है. दरअसल मध्यप्रदेश के जबलपुर में जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि में कृषि उदय मेले में तीन फुट की लौकी आकर्षण का केंद्र बनी है. इस तीन दिवसीय कृषि उदय मेले में सबसे खास बात है कि यहां पर लगाए गए मेले में 100 से ज्यादा प्रर्दशनी और स्टॉल पर रखी हुई फसल, बीज, फल, जौविक खेती और औषधि युक्त सामग्री ने किसान ही नहीं बल्कि वहां पर आई आसापास की महिलाओं को भी आकर्षित किया है. यहां महिलाओं ने मेले में घर में बागवानी के लिए टमाटर और शिमला मिर्च के पौधे भी खरीदने के कार्य किया है.

किशन

हम सभी ने लौकी को खाया है और देखा है जिसका आकार तकरीबन एक या डेढ़ फुट तक ही होता है. लेकिन अगर आप इसी लौकी को बढ़ाने के लिए जैविक खाद का उपयोग करेंगे तो देसी लौकी के आकार को आप साढ़े तीन फुट तक बढ़ा सकते है. दरअसल मध्यप्रदेश के जबलपुर में जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि में कृषि उदय मेले में तीन फुट की लौकी आकर्षण का केंद्र बनी है.

इस तीन दिवसीय कृषि उदय मेले में सबसे खास बात है कि यहां पर लगाए गए मेले में 100 से ज्यादा प्रर्दशनी और स्टॉल पर रखी हुई फसल, बीज, फल, जौविक खेती और औषधि युक्त सामग्री ने किसान ही नहीं बल्कि वहां पर आई आसापास की महिलाओं को भी आकर्षित किया है. यहां महिलाओं ने मेले में घर में बागवानी के लिए टमाटर और शिमला मिर्च के पौधे भी खरीदने के कार्य किया है.  

जैविक पद्धित से लौकी तीन फुट की हुई

जैविक खाद बनाने वाली कंपनी निजी संस्था के वैज्ञानिक का कहना है कि उन्होंने तकरीबन साढ़े तीन फीट की लौकी की उपज भी तैयार की है.  यहां पर स्टॉल पर रखा गया लौकी को लोग प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से देखने आ रहे थे. वहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस देसी प्रजाति की लौकी हर घर और क्षेत्र में उगाई भी जाती है. बता दें कि साधारण लौकी की लंबाई एक से डेढ़ फीट तक ही होती है.

अलसी के लड्डू

यहां मेले में जबलपुर कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से अलसी के लड्डू तैयार करने वाले मां भवानी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि इन लड्डू को खाने से न केवल सिर्फ सेहत में सुधार होता है बल्कि यह घुटनों के दर्द को भी दूर कर देता है. 320 रूपए किलो में बिकने वाले इन लड्डू की बाजार में इतनी डिमांड बढ़ गई है कि इनको मांग के आधार पर बना पाना भी काफी मुश्किल हो रहा है.

बेगा जनजाति के समूह का डांस

जबलपुर के राष्ट्रीय कृषि उदय मेला में मध्यप्रदेश की बेगा जानजाति ने अपना सांस्कृतिक नृत्य को पेश किया था. इस दौरान उन्होंने मेले में आए किसानों, स्थानीय लोगों और जबलपुर की मेयर स्वाति गोडवोले का स्वागत किया. यहां पर सभी लोगों ने उनके रोमांचक डांस के प्रदर्शन को देखकर खुशी जाहिर की है.

English Summary: Different kinds of gourd attracted people at the National Agricultural F Published on: 18 October 2019, 07:02 PM IST

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