बेकाबू हो चुके कोरोना के कहर को काबू में करने की सारी कोशिश अभी नाकाम नजर आ रही है. चौतरफा बरसती मरीजों की चित्कार बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की कलई खोल चुकी है. ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ते मरीजों की बढ़ती तादाद से हर कोई खौफ में है. बेबस, लाचार और असहाय मरीजों के तीमारदारों की गुहार को अनसुना किया जा रहा है. बेशक, सरकार लोगों को दिलास देने के लिए अपने तरकश से कोशिशों के तीर निकाल कर अपनी नाकामियों की लीपापोती करने में जुटी हो, मगर बेबस, लाचार व असहाय मरीजों के तीमारदारों की वेदना अब सरहद की सीमाओं को लांघ कर उस मुल्क के नुमाइंदों को भी दहला चुके हैं, जो कल तक हमारी मुखालफत करते हुए आए हैं, लेकिन हमारी बेबसी और लाचारी को देख उनका भी दिल इस कदर पसीज गया कि अब हमे मदद की पेशकश कर रहे है.
यह मुल्क कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तान है. जी हां... कल तक दो वक्त की रोटी के लिए मुहाल रहने वाले पाकिस्तान. इसे हम अपने लिए दरियादिली समझे या चाल. इस पर तो फिलहाल कोई टिप्पणी करना मुनासिब न होगा. पाकिस्तान से पहले उसके सदाबाहर मित्र चीन का दिल भी भारत की बदहाली देखकर पसीज चुका है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए भारत की मदद करने का ऐलान किया है.
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