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सारूडीह के बागानों में अब चाय के साथ मसालों की खेती होगी

छत्तीसगढ़ के वन विभाग के जरिए सारूडीह में विकसित किए गए चाय बागान में मसालों की खेती का नया प्रयोग शुरू किया है. दरअसल चाय बागान संचालक समूह और वन विभाग के जरिए कई तरह के यहां मसालों के पौधों को लगाया गया है. अभी तक मसालों के पौधों का ग्रोथ काफी बेहतर था. अगर यह प्रयोग पूरी तरह से सफल हुआ तो जिले के किसानों को मसालों की खेती के जरिए रोजगार का एक बेहतर विकल्प मिल जाएगा. यह मसाले कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में से एक है.

किशन
tea in chhatisgarh

छत्तीसगढ़ के वन विभाग के जरिए सारूडीह में विकसित किए गए चाय बागान में मसालों की खेती का नया प्रयोग शुरू किया है. दरअसल चाय बागान संचालक समूह और वन विभाग के जरिए कई तरह के यहां मसालों के पौधों को लगाया गया है. अभी तक मसालों के पौधों का ग्रोथ काफी बेहतर था. अगर यह प्रयोग पूरी तरह से सफल हुआ तो जिले के किसानों को मसालों की खेती के जरिए रोजगार का एक बेहतर विकल्प मिल जाएगा. यह मसाले कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली फसलों में से एक है. वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जशपुर की जलवायु  मसालों की खेती के लिए काफी बेहतर होती है. इसीलिए चाय बगान के पास जो भी प्लेन जगह पड़ी हुई है वहां पर मसालों के पौधे को लगाया गया है.

बागान में उग रहे काफी पौधे

बागान में तेजपत्ता, लौंग, दालचीनी, वेनेगर, अमरूद, तुलसी, लेमन ग्रास, जैतून, काली मिर्च, लहसुन, झरबेरा, जंगली धनिया, धतुरा, मदार और एलोवेरा लगाए गए है. इसमें से कई मसाले तो पहले से जिले के किसान अपनी बाड़ियों में उगाते आए है. यहां पर तेजपत्ते का काफी बेहतर ग्रोथ है.

Tea

चाय में आएगी मसालों की खुशबू

प्रोसेसिंग के वक्त चाय अपने आसपास के वातावरण की खुशबू या बदबू सोख लेती है. गत वर्ष अक्टूबर महीने में जब सारूडीह चाय बगान में चाय की पूरी प्रोसेसिंग करके पहली खेप में चायपत्ती को तैयार किया था. उस समय जले हुए का स्वाद चाय में आ रहा था. चाय प्रोसेसिंग के वक्त चाय की पत्तियां भट्ठे से उठ रहे धुएं को सोख रही है, इसीलिए इसका स्वाद काफी जला हुआ सा नजर आ रहा है.  अब जब मसाले के पौधे तैयार हो रहे है तो इस बात की पूरी संभावना है कि चाय की पत्तियां मसालों की गंध सोख ले और यहां चाय से कुदरती मसालों की खुशबू आएगी.

Indian tea

दुनियाभर में 60 प्रतिशत मसाला की आपूर्ति देश से

बतां दे कि विषम परिस्थितियों और जलवायु में भी मसाला उत्पादित किया जा रहा है. कम लागत में अच्छी पैदावार के साथ ही आपको इससे बेहतर आय मिल जाती है. इसलिए राजस्थान और गुजरात देशभर में बीज मसालों के कटोरे के नाम से जाने जाते है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा बीज मसाला उत्पादक उपभोक्ता वाला देश है. दुनिया की करीब 60 प्रतिशत मसाले की आपूर्ति भारत से ही होती है. देश में हर साल अनुमानित 12.50 लाख हेक्येटर में मसालों की खेती होती है जिससे करीब 10.5 लाख टन मसालों की खेती की जाती है.

English Summary: Spices are also being cultivated here along with tea Published on: 23 August 2019, 06:53 PM IST

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