प्याज की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाती है. इसकी बुवाई रबी और खरीफ, दोनों सीजन में की जाती है. अगर रबी सीजन की बात करें, तो अक्टूबर से मध्य नवंबर तक बुवाई करना उपयुक्त माना जाता है, तो वहीं खरीफ सीजन में जून से जुलाई के पहले सप्ताह तक बुवाई करना उपयुक्त रहता है. देश में प्याज की खेती महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में की जाती है. प्याज की खेती से किसानों को अधिक लाभ हो, इसलिए इसकी नई किस्में विकसित होती रहती है. इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केन्द्र, खरगोन (म.प्र.) द्वारा एक अहम कदम उठाया गया है.
दरअसल, कृषि विज्ञान केन्द्र, खरगोन (म.प्र.) द्वारा 7 किसानों के खेतों पर प्याज की अधिक उत्पादन देने वाली किस्म भीमा सुपर पर प्रक्षेत्र परीक्षण आयोजित किया गया है. इसके लिए हर किसान को 2-2 किलोग्राम भीमा सुपर का बीज दिया गया है. इस किस्म को देर से खरीफ सीजन में उगाया जा सकता है. इस किस्म की बुवाई बारिश के मौसम के लिए उपयुक्त बताई जा रीह है. कृषि विज्ञान केन्द्र खरगोन का लक्ष्य है कि प्याज की बढ़ती कीमत के दौरान किसानों को भीमा सुपर किस्म की बुवाई से अधिक लाभ मिल पाए.
भीमा सुपर किस्म की खासियत
अगर किसान समय रहते खरीफ सीजन में इस किस्म की बुवाई कर देते हैं, तो उन्हें औसतन 20-22 टन/हेक्टेयर पैदावार प्राप्त होती है. अगर किसान थोड़े देर से खरीफ सीजन में इस किस्म की बुवाई करते हैं, तो उन्हें औसतन 40-45 टन/हेक्टेयर पैदावार मिल जाती है. बता दें कि खरीफ सीजन में समय से रोपाई करने के लगभग 100 से 105 दिन के भीतर फसल खुदाई कर सकते हैं. इसके अलावा देर से रोपाई करने वाले किसान 110 से 120 दिन के भीतर खुदाई कर सकते हैं. यह अधिकतर एकल केंद्रित बल्बों का उत्पादन करता है. प्याज की भीमा सुपर किस्म को छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ सीजन के लिए आईसीएआर-प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय, राजगुरुनगर, पुणे, महाराष्ट्र 410 505 भारत द्वारा पहचान की गई है.
अगर इस किस्म की बुवाई से प्याज की गुणवत्ता और उत्पादन अच्छा मिलता है, तो राज्य के सभी जिलों में इसकी खेती कराई जाएगी. इससे बारिश के मौसम में भी किसान प्याज की खेती से
एस. के. त्यागी
वैज्ञानिक (उद्यान विज्ञान)
कृषि विज्ञान केन्द्र, खरगोन (म.प्र.)
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