किसानों की मदद के लिए बिहार सरकार की तरफ से समय-समय पर कई तरह के महत्वपूर्ण कदम उठाए जाते हैं. ताकि वह आर्थिक रूप से सशक्त बन सके और आत्मनिर्भर बन सके. इसी क्रम में राज्य सरकार ने हाल ही में किसानों की सहायता के लिए मिट्टी की जांच की पहल शुरू की है, जिससे किसान समय पर मिट्टी के स्वास्थ के बारे में जानकर उसका उपचार कर सकें और खेत की मिट्टी के अनुसार फसलों को लगाकर लाभ प्राप्त कर सके.
कृषि विभाग बिहार सरकार ने साल 2024-25 तक 5 लाख मिट्टी के नमूनों की जांच का लक्ष्य रखा गया है. आइए सरकार की इस पहल के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं.
हर महीने होगी 50 हजार नमूनों की जांच
जैसा कि आप जानते हैं कि बिहार सरकार ने साल 2024-25 तक 5 लाख खेतों की मिट्टी के नमूनों की जांच करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन अब तक राज्यभर में 2 लाख 88 हजार नमूनों की जांच ही की गई है. दरअसल, इनमें 2 लाख 71 हजार 822 मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना/Soil Health Card Scheme बनाकर किसानों को बाटे गए है. ताकि खेतों की मिट्टी की जांच सरलता से हो सके. ऐसे में राज्य सरकार के द्वारा 31 मार्च 2025 तक जांच लक्ष्य पूरा करने के लिए हर माह लगभग 50 हजार नमूनों की जांच करनी होगी.
इन जिलों में हुए मिट्टी के नमूनों की जांच
सरकार के द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार, राज्य में 13513 मिट्टी के नमूने जांच कर नालंदा अव्वल पर है. वही, किशनगंज 2632 मिट्टी के नमूना जांच करने में सबसे पीछे है. प्रखंड स्तर तक 4 लाख 38 हजार 470 नमूना पहुंचे हैं, जिसमें से 4 लाख 14 हजार 465 नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला पहुंचे हैं. लक्ष्य का 82.95 प्रतिशत नमूना प्रयोगशाला पहुंचे हैं.
नवादा में लक्ष्य के अनुसार, 13100 खेत की मिट्टी के नमूनों की जांच पूरी हो गई है. औरंगाबाद में लक्ष्य के अनुसार 10300, मुजफ्फरपुर में 15000, नालंदा में 18700 और शेखपुरा में 5600 नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला पहुंचे हैं. पटना में 21500 नमूने जांच का लक्ष्य है, जबकि अब तक 10672 मिट्टी के नमूनों की जांच हुई है. भागलपुर में 15000 नमूनों में से 9115 तो गया में 22500 नमूनों में से 12552 की जांच की गई. बता दें कि राज्य के करीब 38 जिलों में मिट्टी जांच प्रयोगशाला है. साथ ही प्रत्येक प्रमंडल में एक-एक यानी 9 चलंत मिट्टी जांच प्रयोगशाला बनी हुई है.
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मिट्टी की जांच करने से मिलेंगे ये फायदे
- मिट्टी की जांच करने से इसमें मौजूद नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा की सही जानकारी किसानों को मिलती है.
- मिट्टी की जांच करने से फसलों के लिए, मिट्टी का अम्लीय (एसिडिक) या क्षारीय (एल्कलाइन), सही खाद और उर्वरक का चयन करने में मदद होती है.
- मिट्टी की जांच करने से फसलों में अनावश्यक खर्च बचता है और फसल उत्पादन में वृद्धि एवं लाभ अधिक प्राप्त होता है.
- नियमित जांच से मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है.
- मिट्टी की चांज करने से फसल चक्र (Crop Rotation) को बेहतर तरीके से अपनाने में मदद मिलती है.
लेखक: नित्या दुबे
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