भारतीय संस्कृति में सुपारी का बहुत महत्व होता है. सुपारी का इस्तेमाल किसी भी शुभ कार्य से लेकर अतिथियों को भोजन के रूप में देने के शुभ काम के लिए किया जाता है. इसके अलावा सुपारी में एनीमिया जैसा पोषक तत्त्व पाया जाता है, जो पाचन और कब्ज जैसी बीमारियों से निजात दिलाने में कारगर माना जाता है.
सुपारी के इन्हीं महत्वपूर्ण गुणों के चलते इसकी खेती किसानों के लिए बहुत किफायती मानी जाती है. देश के कई राज्य में इसकी खेती की जाती है. लेकिन इस बीच मौसम की अनियमितता की वजह से सुपारी में रोगों का खतरा बढ़ रहा है. बता दें कि केरल के वैज्ञानिकों ने सुपारी की फसल में एक नये तरह के कीट की पहचान की है. जो सुपारी की फसलों को नुकसानदायक साबित हो सकता है.
केंद्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान (CPCRI) केरल, के दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक स्थित क्षेत्रीय स्टेशन के वैज्ञानिकों ने इस कीट पहचान की है. उनका कहना है कि फसलों की निगरानी के दौरान हमने सुलिया तालुका के मरकंजा और कदबा तालुका के कनियरू गाँव में एरिका नट के नए पौधों में एम्ब्रोसिया बीटल (Asian ambrosia beetal) को देखा, जिसका साइंटिफिक नेम xylosandrus crassiusculus है."
यह कीट हमने पहले पौधों के तनों में देखा था, लेकिन अब ये कीट " पहली बार सुपारी पौध के फलों में देखा है. यह कीट फलों को फंगस का इन्फेक्शन पैदा कर देता है. जो पूर्णरूप से फसल को बर्बाद कर देता है. ऐसे में जरुरी है इनका निवारण करना अन्यथा ये कीट भण्डारण के दौरान अन्दर ही अन्दर फसल को खा जायेंगे.
इस खबर को पढ़ें - गेहूं पर पीली कुंगी का खतरा बढ़ने पर ऐसे करें उपचार
इसका अलावा सीपीआरआई, कारसगोड, केरल की प्रभारी निदेशक अनीता अरुण कहती हैं, "वैज्ञानिक नियमित रूप से कीटों और रोगों की जानकारी के लिए निगरानी करते रहते हैं, कर्नाटक के क्षेत्रीय स्टेशन के हमारे वैज्ञानिकों ने सुपारी को संक्रमित करने वाले नए कीट की पहचान की है, अब वैज्ञानिक इसके प्रबंधन पर काम कर रहे हैं, जिससे यह कीट ज्यादा फैल कर नुकसान पहुंचा पाए."
भारत के इन राज्यों में होती है सुपारी की खेती (Betel Nut Is Cultivated In These States Of India)
भारत सुपारी के उत्पादक में सबसे उच्च माना जाता है. सुपारी खेती करने वाले प्रमुख राज्य की बात करें, तो सुपारी की खेती 40% कर्नाटक राज्य में की जाती है तो वहीँ केरल में 25% की जाती है, असम में 20% और तमिलनाडु, मेघालय और पश्चिम बंगाल में भी इसकी खेती प्रमुख रूप से की जाती है.
Share your comments