वैसे तो किसान अपनी कमाई को डबल (Double Income) करने के लिए कई तरह की खेती को अपनाते हैं. लेकिन अगर वो यही चीज़ पूरी जानकारी के साथ करें, तो उनके लिए अधिक यह फायदेमंद साबित होगा. इसी के चलते आपको अपनी आय करोड़ों में करनी है, तो आपको सागवान की खेती (Sagwan Ki Kheti) करनी चाहिए.
सागवान की खेती लंबी अवधि के लिए बहुत लाभदायक है. इसे बर्मा टीक (Burma Teak) नाम से भी जाना जाता है. तो आइये आज हम आपको बताते हैं सागवान की खेती से जुड़ी हर एक जानकारी.
बर्मा टीक या सागवान का पौधा दो तरह से तैयार किया जा सकता है पहला बीज संवर्धन (Seed Culture) और दूसरा ऊतक संवर्धन (Tissue Culture) से. बीज संवर्धन प्रक्रिया पुरानी है. टिशू कल्चर प्रक्रिया सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले पौधों के उत्पादन का नया तरीका है.
मिट्टी (Soil)
सागवान की खेती (Sagwan Ki Kheti) के लिए भूमि की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए, ताकि वर्षा का पानी बिल्कुल भी जमा न हो. खास बात यह है कि इसकी बर्मा टीक की खेती (Burma Teak Farming) किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है.साथ ही सागवान की खेती के लिए सूर्य का प्रकाश महत्वपूर्ण है. ध्यान रहे कि खेती क्षेत्र के ऊपर आसमान खुला हो.
तापमान (Temperature)
सागवान के लिए 10 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान अच्छा होता है. इसके साथ ही यह बहुत खराब मौसम की स्थिति में भी जीवित रह सकता है. क्योंकि यह विशेष रूप से हमारी भारतीय जलवायु के लिए तैयार किया जाता है.
विशेषता (Features)
सागौन की लकड़ी में उच्च मात्रा में प्राकृतिक तेल होते हैं जो इसे रोग प्रतिरोधक क्षमता में मदद करते हैं. और इसके तेल की कीमत से किसान अच्छी ख़ासी कीमत कमा सकते हैं.
बुवाई का समय और तरीका (Sowing time and method)
सागवान की खेती (Sagwan Ki Kheti) के लिए मानसून सबसे अच्छा मौसम है. रोपण के लिए 2 मीटर x 2 मीटर या 2.5 मीटर x 2.5 मीटर या 3 मीटर x 3 मीटर की दूरी का उपयोग करें. अंतरफसल में 4 मीटर x 4 मीटर या 5 मीटर x 5 मीटर की दूरी का उपयोग किया जा सकता है.
बुवाई की गहराई (Sowing depth)
सागवान पूर्व अंकुरित स्टंप लगाने के लिए 45 सेमी x 45 सेमी x 45 सेमी का गड्ढा खोदें और गड्ढे को मिट्टी और अच्छी तरह से सड़ी गाय के गोबर से भरें.
सिंचाई (Irrigation)
मानसून के महीने में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है. गर्मी के महीने में या तनाव की अवधि के दौरान सिंचाई करें. तनाव की अवधि के दौरान सिंचाई करने से उपज में काफी हद तक सुधार होता है. अधिक सिंचाई से पानी के फफोले और फंगस फैलेंगे.
विकास (Development)
रोपण के बाद पहले छह महीनों के दौरान यह पौधा लगभग 12 से 15 फीट बढ़ता है और दो साल बाद यह 30 फीट तक बढ़ सकता है.
आजकल भारत के हर राज्य में किसान सागवान की सफलतापूर्वक खेती करते हैं और अच्छी खासी कमाई करते हैं. तो सोचिए मत जल्द शुरू कीजिये सागवान की खेती (Sagwan Ki Kheti) और कमाइए डबल मुनाफा.
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