मसालों में मशहूर और सबसे महंगा माने जाने वाला केसर अब सिर्फ कश्मीर की वादियों में नहीं बल्कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में भी उगाया जाएगा. दरअसल राज्य के वन विभाग ऊंचे इलाकों में केसर की खेती करने की योजना पर विचार कर रहा है. इससे पहले उत्तराखंड की धरती पर कश्मीर में पाए जाने वाले चिनार और ट्यूलिप की खेती सफल होने के बाद वन विभाग केसर की खेती की तैयारी में जुट गया है. अब जल्द ही वन विभाग की शोध टीम ज्ममू-कश्मीर में केसर के अध्ययन के लिए जाएगी और यह उम्मीद है कि इसी साल केसर की खेती का पहला प्रयोग उत्तराखंड के मुन्सियारी और गोपेश्वर में किया जाएगा.
गोपेश्वर में कश्मीर जैसा वातावरण
गोपेश्वर और मुन्सियारी यह दोनों इलाके उत्तराखंड में चीन सीमा के बेहद करीब है, केसर की खेती के सहारे राज्य में रहने वाले किसानों की आमदनी में काफी बढ़ोतरी होगी और साथ ही इससे पर्यटन में भी काफी इजाफा होगा. यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि परीक्षण के लिए मुन्सियारी के लिए और गोपेश्वर को इसीलिए चुना गया है क्योंकि इन दोनों जगहों पर वातावरण केवल कश्मीर जैसा है. जो कि समुद्रतल से लगभग 2200 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, केसर की खेती के लिए अनुकूल है.
दूरदराज इलाकों में होगी खेती
बता दें कि कश्मीर के मशहूर चिनाक और टयूलिप का विकास उत्तराखंड में बहुत पहले ही हो चुका है. यहां पर बीते एक साल पहले ही मुन्सियारी में टयूलिप के फूलों के पौधे लगाए गए थे जोकि काफी सफलतापूर्वक उगे और मार्च में फूल में तैयार हो गए. उसी तरह हल्दानी में चिनार के पौधे लगाए गए थे जिनका वृक्षारोपण काफी सफल रहा है. वही ज्यादातर पर्यटन केंद्रो पर टयूलिप के फूलों को लगाने की तैयारी है. इसी साल यहां पर केसर की खेती को शुरू करने का कार्य किया जाएगा. बता दें कि केसर सबसे महंगा मसाला है जो कि ज्यादातर दवाईयों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. फिलहाल देश में कश्मीर एक ऐसा इलाका है जहां पर केसर की खेती की जाती है जिसको देखने के लिए दूरदराज से सैलानी भी आते है.
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