रूस और युक्रेन के बीच हो रहे युद्ध ने सबको हिलाकर रख दिया है. दो देशों के बीच का यह तनाव कई दिनों से लगातार बढ़ रहा है. लगातार बढ़ते तनाव व आशंकाओं के बाद आखिरकार रूस व यूक्रेन के बीच जंग छिड़ ही गई. जंग भी ऐसी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
इस युद्ध ने यूरोप में महायुद्ध व तीसरे विश्व के हालात पैदा कर दिए हैं. रूस ने भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने का ऐलान किया है, तो अमेरिका के नेतृत्व में नाटो (Nato) भी मैदान संभालने के लिए तैयार है.
यूक्रेन ने भी अपनी ओर से जवाबी हमले शुरू कर दिए हैं. वहां के सिविलियन्स (Civilians) को भी जंग को संभालने के लिए हथियार दिया जा चुका है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इस विवाद की जड़ क्या है? सोवियत संघ के जमाने में कभी मित्र रहे ये प्रांत दो देश बनने के बाद एक दूसरे के शत्रु क्यों बन गए हैं. आखिरकार इस जंग का कारण क्या है और इन दो देशों के किस भाग (Ukraine and Russia Map) में जंग अधिक सक्रिय होता नजर आ रहा है और वहां (Ukraine and Russia war) के क्या मौजूदा हालात हैं. हम उस पर नजर डालेंगें.
रूस यूक्रेन पर आक्रमण क्यों कर रहा है? (Why is Russia Invade Ukraine?)
सबसे पहले यूक्रेन और रूस के मान चित्र (Ukraine and Russia Map)पर नजर डालते हैं. अगर यूक्रेन की सीमा (Ukraine's border) की बात करें, तो पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है. 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था. रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ, जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ.
हालांकि, तभी उन्हें रूस का समर्थन था. यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा. परिणामस्वरूप इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद वहां के अलगाववादियों को अपना समर्थन दिया. इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. साल 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था. इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था. तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ. साल 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की.
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इसके बाद फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया. हाल ही में यूक्रेन ने नाटो (Ukraine- Nato) से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया. आपको बता दें कि यूक्रेन के नाटो (Nato) से अच्छे रिश्ते हैं.1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो (NATO) यानी 'उत्तर अटलांटिक संधि संगठन' बनाया गया था. अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं.
यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका जबावी हमला कर सकता है. रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे.राष्ट्रपति पुतिन (Russia President) इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर लगातार अपना दबाव बना रहा था. आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया.
अब यदि नाटो (Nato) ने रूस पर जवाबी कार्रवाई की और योरप के अन्य देश इस जंग में कूदे तो तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा. अब यूक्रेन के मौजूदा हालातों पर अगर नजर डालें, तो स्थिति काफी गंभीर है. रूस के हमले में यूक्रेन के 137 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है. यूक्रेन राष्ट्रपति (Ukraine President) जेलेंस्की ने दुःख जताते हुए कहा- जंग में सबने अकेला छोड़ा दिया. सोशल मीडिया पर यूक्रेन पर हुए और उससे ज़ख्मी लोगों की तस्वीरें लगातार ट्रेंड हो रही है.
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