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ग्रामीण सूरत बदलने को छोड़ दी करोड़ों की नौकरी, अब चलाते है गौशाला...

आज के इस लोभी और लालची युग में जब कोई अपने बारे में न सोचकर किसी और के बारे में सोचता है तो ख़ुशी भी होती है और साथ ही यह सब देखकर हैरत भी होती है कि आज के इस ज़माने में ऐसे भी लोग है.

 

आज के इस लोभी और लालची युग में जब कोई अपने बारे में न सोचकर किसी और के बारे में सोचता है तो ख़ुशी भी होती है और साथ ही यह सब देखकर हैरत भी होती है कि आज के इस ज़माने में ऐसे भी लोग है.

ऐसे ही एक सख्स डाटा साइंटिस्ट अभिनव गोस्वामी ने जो अमेरिका की एप्पल कप्म्पनी की एक करोड़ 95 लाख की सैलरी छोड़ कर अपनी पूर्वजो की ज़मीन पर गौशाला खोली है, जैविक खेती को आगे बढ़ाया और अब गाँव वाले की लिए, गरीब लोगो और किसानो के लिए गुरुकुल खोल कर मुफ्त शिक्षा देना चाहते है.

इनका मुख्य उद्देश्य संस्कृत को बढ़ावा देना है और उसके माध्यम से बच्चो को वेद पुराणों की जानकारी देना है. डॉ अभिनव यहाँ एक ऐसा प्रोजेक्ट रेडी कर रहे है जिससे गाँव में रहने वाले लोग आत्म निर्भर बन सके और साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में खुशहाली आ सके. अभिनव दुनिया में ऐसे लगभग 108 गुरुकुल खोलना चाहते है. वह चाहते है की बच्चो के बेहतर भविष्य के लिए वह हर एक मुमकिन कोशिश करना चाहते है.

इस गुरुकुल में उन्होंने बड़ी बड़ी कंपनी में काम करने वाले दिग्गज लोगो को गेस्ट फैकल्टी के लिए बुलाया है. इस गुरुकुल में बच्चो की एक खास अच्छी आदतों को देखते हुए उन्हें उनके भविष्य में मदद की जाएगी। अभिनव ने बताया की उनका पूरा प्रोजेक्ट 12 करोड़ के आस पास का है और अब तक अभिनव इसमे ढाई करोड़ रुपए तक खर्च कर चुके है.

जैविक व संरक्षित खेती ही रोकेगी पलायन
अभिनव कहते हैं कि जैविक खेती से होने वाली आय साधारण आय से लगभग दोगुनी है। इससे किसानों को लाभ होगा। लोग भी स्वस्थ रहेंगे। इसलिए केवल खेती पर आधारित 75 फीसदी की आबादी वाले देश में इससे बेहतर विकल्प नहीं है। गांव छोड़ कर शहर में पांच दस हजार की नौकरी करने से बेहतर है कि अपने खेत की आय बढ़ाई जाए। अपने परिवार के बीच रहा जाए। अभिनव कहते हैं पॉली हाउस में संरक्षित खेती किसानों की आय बढ़ाने का बहुत बेहतर तरीका है। इसे किसानों को अपनाना चाहिए। इसमें कई तरह की फसलें कर आय बढ़ाई जा सकती हैै। वह खुद अपने खेतों में इसकी तैयारी कर रहे हैं। 

आस्ट्रेलियन बॉक्स में शहद उत्पादन
अभिनव ने मधुमक्खी पालन कर शहद उत्पादन की भी शुरूआत की है। इसके लिए उन्होंने आस्ट्रेलिया से एक खास किस्म के लकड़ी के बाक्स मंगाए हैं जिसमें मधुमक्खियां अपनी कालोनी बसा कर नीचे की हिस्से में रहतीं हैं और ऊपर के हिस्से में रानी मक्खी शहद बनाती है। इसी हिस्से में लगे बटनों को थोड़ा सा घुमा कर शहद आसानी से निकल आता है। मधुमक्खियों को कहीं भगाना नहीं पड़ता। इस बाक्स की कीमत 900 आस्ट्रेलियन डॉलर यानी लगभग 55 हजार रुपये है। गोस्वामी ने  मधुमक्खियों के भोजन के लिए सूरजमुखी भी उगाई है। 

साहीवाल गायें रहेंगी गोशाला में
इस गोशाला में साहीवाल नस्ल की देशी गायों को रखा गया है। अभी 65 गायें हैं, जिनकी संख्या 200 तक जाएगी। भारत के ऋषियों ने देशी गाय की महत्ता को सैकड़ों वर्ष पूर्व बताया था, हाल ही में न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने भी इसे माना है। इसलिए गोशाला में इन्हीं गायों को रखा गया है। 

- वर्षा

English Summary: Rural job left the job of crores, now run Gaushala ... Published on: 03 April 2018, 04:21 AM IST

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