देश के दक्षिण राज्यों में बड़े पैमाने पर रबर की खेती की जाती है. जिससे की यहाँ के रबर उत्पादक किसानों को कई बात फायदा भी होता है और नुकसान भी. इस साल रबर उत्पादन को लेकर रबर बोर्ड ने थोड़ी चिंता जताई है. रबर बोर्ड ने 2017-18 के उत्पादन के आंकड़ों में फेरबदल किया है. इससे उपयोगकर्ता उद्योग, विशेष रूप से टायर उद्योग चिंतित है. रबर बोर्ड ने वर्ष 2017-18 के प्रारंभ में प्राकृतिक रबर की घरेलू उपलब्धता 2.7 लाख टन कम रहने का अनुमान जताया था, जिसे बढ़ाकर अब 3.7 लाख टन कर दिया गया है. इस वजह से उत्पादन और खपत के बीच अंतर 25 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी हो गया है. रबर बोर्ड ने संशोधित आंकड़ों में 2017-18 में घरेलू उत्पादन 7.3 लाख टन और खपत 11 लाख टन रहने का अनुमान जताया है. इससे 3.7 लाख टन रबर की कमी रहेगी, जो पिछले वर्ष में 3.5 लाख टन की कमी के आंकड़े से अधिक है
वाहन टायर विनिर्माता संघ ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि देश में प्राकृतिक रबर की कमी के अनुमानों से टायर उद्योग चिंतित है, जो पहले ही घरेलू स्तर पर कम उलब्धता की समस्या से जूझ रहा है. एटमा की 11 बड़ी सदस्य कंपनियों का देश के कुल टायर उत्पादन में 90 फीसदी से अधिक योगदान है. देश में उत्पादित प्राकृतिक रबर में से 65 से 70 फीसदी की खपत टायर उद्योग में होता है. टायर उद्योग का कहना है कि घरेलू उत्पादन में अनुमानित कमी जितने प्राकृतिक रबर के शुल्क मुक्त आयात की मंजूरी दी जाए क्योंकि 25 फीसदी के ऊंचे आयात शुल्क से उद्योग की कीमत प्रतिस्पर्धी क्षमता प्रभावित हो रही है. रबर का उत्पादन घटने से रबर उद्योग को परेशानी हो सकती है.
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