Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) ने किसानों के उत्थान के लिए, भूमि की उत्पादकता को फिर से जीवंत करने और खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी है. CCEA ने urea subsidy scheme को जारी रखने को मंजूरी दी; 2022-23 से 2024-25 तक 3 वर्ष के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपये urea subsidy के लिए आवंटित किए. Wealth from Waste Model के तौर पर Market Development Assistance (MDA) स्कीम हेतु 1451 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. Soil को समृद्ध करने और पर्यावरण को सुरक्षित एवं स्वच्छ रखने के लिए पराली और गोबरधन संयंत्रों से organic fertilizer का प्रयोग किया जाएगा. Soil की सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों के लिए इनपुट लागत को कम करने के लिए ‘Urea Gold’ (Sulphur-Coated Urea) की शुरूआत.
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) ने आज किसानों के उत्थान के लिए 3,70,128.7 करोड़ रुपये के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी. माननीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के समग्र कल्याण और आर्थिक बेहतरी के लिए देश के किसानों को योजनाओं की यह सौगात भेंट की है. इन पहलों से किसानों की आय बढ़ेगी, प्राकृतिक/ ऑर्गेनिक खेती को मजबूती मिलेगी, भूमि की उत्पादकता का कायाकल्प होगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी. CCEA ने urea subsidy scheme को जारी रखने को मंजूरी दे दी ताकि किसानों को 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. इस पैकेज में तीन साल तक (2022-23 से 2024-25) के लिए urea subsidy के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं.
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यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की NBS के अतिरिक्त है. किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी आदान लागत को कम करने में मदद मिलेगी. वर्तमान में, यूरिया की MRP 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग रु. 2200 है. यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है. urea subsidy scheme को जारी रखने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा. लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण, वर्षों से इंटरनेशनल लेवल पर फर्टिलाइजर की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं. लेकिन भारत सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को फर्टिलाइजर कीमतों में भारी वृद्धि होने से बचाया है. हमारे किसानों की सुरक्षा के प्रयास में, भारत सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी 2014-15 में ₹ 73,067 करोड़ से 2022-23 में ₹ 2,54,799 करोड़ बढ़ाई है.
नैनो यूरिया ecosystem सुदृढ़ीकरण
2025-26 तक, 195 LMT पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया Plant चालू हो जाएंगे.
Nano Urea Table
Nano Fertilizer पोषकतत्वों को नियंत्रित तरीके से रिलीज करता है जो उच्च पोषकतत्व उपयोग दक्षता में योगदान करता है और किसानों को कम लागत आती है. नैनो यूरिया के उपयोग से फसल उपज में वृद्धि हुई है. देश 2025-26 तक यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह पर वर्ष 2018 से 6 यूरिया उत्पादन यूनिट
- चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड, कोटा राजस्थान
- मैटिक्स लिमिटेड पानागढ़, पश्चिम बंगाल,
- रामागुंडम-तेलंगाना,
- गोरखपुर-उत्तर प्रदेश,
- सिंदरी-झारखंड और
- बरौनी-बिहार
इनकी स्थापना और पुनरुद्धार से देश को यूरिया उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है. यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 LMT के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 LMT हो गया है. 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 LMT हो गई है. नैनो यूरिया प्लांट के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक हमें आत्मनिर्भर बनाएंगे.
धरती माता की उर्वरता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार हेतु प्रधान मंत्री कार्यक्रम (PM-PRANAM)
धरती माता ने हमेशा मानव जाति को भरपूर मात्रा में जीविका के स्रोत प्रदान किए हैं. यह समय की मांग है कि खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाए. प्राकृतिक/ऑर्गेनिक खेती, वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिल सकती है. इस प्रकार, बजट में यह घोषणा की गई थी कि वैकल्पिक फर्टिलाइजर और रासायनिक फर्टिलाइजर के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए “ Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana- PM PRANAM” शुरू किया जाएगा. गोबरधन संयंत्रों से organic fertilizers को बढ़ावा देने के लिए Market Development Assistance (MDA) के लिए 1451.84 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. आज के अनुमोदित पैकेज में धरती माता की उर्वरता की बहाली, पोषण और बेहतरी के लिए गोबरधन पहल के तहत Compressed Bio-Gas (CBG) Plants से organic fertilizers अर्थात Fermented Organic Manure (FOM)/Liquid FOM/Phosphate Enriched Organic Manure (PROM) के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के रूप में MDA Scheme शामिल है.
ऐसे ऑर्गेनिक उर्वरकों को भारतीय ब्रांड FOM, LFOM और PROM के नाम से ब्रांड किया जाएगा
यह एक तरफ फसल के बाद बचे अवशेषों का प्रबंध करने और पराली जलाने की समस्याओं का समाधान करने में सुविधा प्रदान करेगा, पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा और साथ ही किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान करेगा. ये ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर किसानों को कम कीमतों पर मिलेंगे. यह पहल गोबरधन स्कीम के तहत 500 नए Waste to Wealth Plants की स्थापना की बजट घोषणा के Implementation की सुविधा प्रदान करेगी. कृषि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से Soil Health बेहतर हो रही है. और किसानों को कृषि में लगने वाली लागत कम हो रही है.
425 कृषि विज्ञान केन्द्रों ने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन किया है और 6.80 लाख किसानों को शामिल करते हुए 6,777 जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं. जुलाई-अगस्त 2023 के शैक्षणिक सत्र से B.SC तथा M.SC में प्राकृतिक खेती के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार की गयी है. Soil की सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों के लिए इनपुट लागत को बचाने के लिए Sulphur Coated Urea (Urea Gold) की शुरूआत. देश में पहली बार सल्फर लेपित यूरिया (यूरिया गोल्ड) शुरू किया जा रहा है. यह देश में Soil में सल्फर की कमी को दूर करेगा.
Comparative Table
- यह किसानों के लिए इनपुट लागत भी बचाएगा और उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के साथ किसानों की आय भी बढ़ाएगा.
- प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्द्र (PMKSK) ने एक लाख का आंकड़ा छुआ.
- देश में लगभग एक लाख प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्द्र (PMKSK) पहले ही लगाए जा चुके हैं.
- किसानों की सभी जरुरतों के लिए एक ही जगह पर उनकी हर समस्या के स्टॉप समाधान के रूप में यह केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं.
लाभ
आज की अनुमोदित योजनाएं Chemicals Fertilizers का सही उपयोग करने में मदद करेंगी, जिससे किसानों के लिए खेती की लगने वाली लागत कम हो जाएगी. प्राकृतिक/ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नैनो फर्टिलाइजर और ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर से हमारी धरती माता की उर्वरता बहाल करने में मदद मिलेगी. बेहतर soil Health से पोषकतत्व दक्षता बढ़ती है तथा soil एवं जल प्रदूषण में कमी होने से पर्यावरण भी सुरक्षित होता है. सुरक्षित तथा स्वच्छ पर्यावरण से मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है. फसल के अवशेष जैसे पराली जलाने से वायु प्रदूषण का मसला हल होगा तथा स्वच्छता में सुधार होगा और पर्यावरण बेहतर होगा तथा साथ ही waste को wealth में बदलने में भी सहायता मिलेगी. किसान ज्यादा लाभ प्राप्त करेंगे – यूरिया के लिए उन्हें कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना होगा क्योंकि कम कीमतों पर उपलब्ध होता रहेगा.
Organic Fertilizers (FOM/PROM) भी सस्ती कीमतों पर उपलब्ध होंगे. कम कीमत वाली नैनो यूरिया तथा रासायनिक Fertilizers के कम प्रयोग और ऑर्गेनिक Fertilizers के बढ़ते प्रयोग से किसानों के लिए input लागत भी कम हो जाएगी. कम इनपुट लागत के साथ स्वस्थ soil तथा पानी से फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी. किसानों को उनके उत्पाद के लिए बेहतर लाभ मिलेगा.
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