देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे और आरएलडी (RLD) के मुखिया और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह (Ajit Singh) का आज निधन हो गया है.
अजीत सिंह के निधन की जानकारी उनके बेटे जयंत चौधरी ने ट्वीट कर दी. दरअसल उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, चौधरी अजीत सिंह 20 अप्रैल को कोरोना संक्रमित पाए गए थे और आज प्रातः 6 मई को उन्होंने अंतिम सांस ली. असीम दुख की घड़ी है. अंतिम समय तक भी चौधरी साहब संघर्ष करते रहे.
जीवन पथ पर चलते हुए चौधरी साहब को बहुत लोगों का साथ मिला. ये रिश्ते चौधरी साहब के लिए हमेशा प्रिय थे. चौधरी साहब ने आप सबको अपना परिवार माना और आप ही के लिए हमेशा चिंता की. आज इस दुख व महामारी के काल में हमारी आप से प्रार्थना है कि अपना पूरा ध्यान रखें, संभव हो तो अपने घर पर रहें और सावधानी जरूर बरतें. इससे देश की सेवा कर रहे डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी मदद मिलेगी और ये ही चौधरी साहब को आपकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. हम इस महामारी से जूझ रहे सभी परिवारों के प्रति अपनी भावपूर्ण संवेदना करते हैं.
अजित सिंह का निजी जीवन
अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में हुआ था. लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आईआईटी खड़गपुर चले गए. इसके बाद उन्होंने अमेरिका के इलिनाइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से मास्टर ऑफ साइंस किया. अजित ने करीब 15 साल तक अमेरिका में ही नौकरी की. वह पेशे से कम्प्यूटर साइंटिस्ट थे और 1960 के दशक में आईबीएम के साथ काम करने वाले पहले भारतीयों में एक थे.
अजित सिंह का राजनीतिक जीवन
जब पिता चौधरी चरण सिंह की तबियत खराब रहने लगी तो अजित सिंह भारत लौट आए. यहां 1980 में चौधरी चरण सिंह ने उन्हें लोकदल की कमान सौंप दी. यहीं से अजित सिंह ने राजनीति में कदम रखा. अजित सिंह 1986 में पहली बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा पहुंचे. 1987 में उन्हें लोकदल का अध्यवक्ष बनाया गया और 1988 में जनता पार्टी के अध्यसक्ष घोषित किए गए.
अजित सिंह बागपत से 2009 तक लोकसभा का चुनाव जीतते रहे
अजित सिंह ने 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव बागपत सीट से जीता. 1998 में अजित सिंह इस सीट पर बीजेपी के नेता सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गए. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) बनाई और 1999 में चुनाव जीत लिया. इसके बाद से वे लगातार 2009 तक इस सीट पर जीतते चले आए. 2014 में उन्हें बीजेपी के सत्यपाल से मात मिली थी. इसके बाद 2019 में उन्होंने मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा.
गौरतलब है कि अजित सिंह और उनके परिवार की जाट समाज में काफी पैठ रही है. पिछले दो लोकसभा चुनाव और 2 विधानसभा चुनाव के दौरान रालोद का ग्राफ तेजी से गिरा. यही वजह है कि वे अपने गढ़ बागपत से भी लोकसभा चुनाव हार गए. हालांकि किसान आंदोलन के बाद से अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी एक बार फिर पश्चिमी यूपी में अपनी धाक जमाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं.
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