तमिलनाडु में एक लाख से अधिक गन्ना किसानों के लिए सरकार ने 'साझा राजस्व फॉर्मूले' के आधार पर भुगतान करना शुरू कर दिया है. इसके अंतर्गत राज्य सरकार 200 रूपये प्रति टन के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दे रही है.
पिछले वर्ष राज्य सलाहकृत मूल्य (आरएसपी) की व्यवस्था की गई थी. हालाँकि चीनी मिल मालिक इस व्यवस्था से नाखुश थे और उन्होंने इसे अवास्तविक बताया. वहीं किसानों का कहना था कि मिल उनके पुराने बकाया का भुगतान नहीं कर रही हैं. इसी वजह के चलते, राज्य सरकार ने आरएसपी आधारित मूल्य निर्धारण का फार्मूला तय किया था. इस योजना से किसानों के लिए लागत से ज्यादा मूल्य मिलने में मदद मिलेगी और साथ ही चीनी उद्योग मजबूत होगा.
इस योजना के तहत, केंद्र सरकार निष्पक्ष और लाभकारी मूल्य(एफआरपी) को नियंत्रित करेगी और राज्य सरकार आरएसपी आधारित मूल्य निर्धारित करेगी. चीनी वितरण से संबंधित एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने 2017 -18 के लिए 2550 रूपये प्रति टन के एफआरपी और 2750 रूपये प्रति टन के एसआरपी के बीच के अंतर को पूरा करने के लिए प्रोत्साहन राशि के भुगतान करने का प्रस्ताव दिया था. इस प्रकार यह राशि 200 रूपये प्रति टन होती है.
प्रोत्साहन राशि मिलने के बाद किसान अब 2550 रूपये प्रति टन का मूल्य पाने के पात्र हैं. इसमें ढुलाई का 100 रूपये प्रति टन का शुल्क शामिल नहीं है. चीनी विभाग के अधिकारी ने दावा किया कि सहकारी और सार्वजनिक क्षेत्रों की 18 चीनी मिलों ने अपने सभी किसानों को एफआरपी का भुगतान किया था.
दक्षिण भारत चीनी मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पलानी जी स्वामी ने कहा कि निजी मिलों ने अपनी सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि मिलों के पास वर्ष 2017 -18 के लिए 125 करोड़ रूपये से अधिक का बकाया है.
प्रोत्साहन के रूप में मिलने वाली राशि को सरकार प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से किसानों को भुगतान करेगी. इस योजना से क्षेत्र के हज़ारों गन्ना किसानों को फायदा पहुंचा है.
रोहताश चौधरी, कृषि जागरण
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