अरहर की दाल में कार्बोहाइड्रेट, लोहा, कैल्शियम आदि जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, इसलिए यह सुगमता से पचने वाली दाल होती है. अरहर की दाल का उपयोग अन्य दलहनी फसलों की तुलना में सर्वाधिक किया जाता है. इसकी हरी फलियों का उपयोग साग बनाने में किया जाता है, तो वहीं इसकी खली को पशुओं के भोजन के रूप में खिलाया जाता है. खरीफ के मौसम में अरहर एक बहुत ही महत्वपूर्ण फसल मानी जाती है.
अगर अरहर की खेती की बात करें, तो महाराष्ट्र में करीब 10 लाख हेक्टेयर से अधिक इसकी खेती की जाती है. ऐसे में किसानों को फसल के उचित दाम दिलाने के लिए राज्य सरकार इसकी सरकारी खरीद की तैयारी शुरू करने के लिए योजना बना रही है.
बता दें कि केंद्र सरकार की मूल्य समर्थन योजना (Price Support Plan) के तहत 22 फसलों की एमएसपी पर खरीद शुरू हो रही है. यदि किसान भाई अपनी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचना चाहते हैं, तो उन्हें जल्द ही फसल की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन (Registration) करवाना होगा अन्यथा किसानों को एमएसपी का लाभ नहीं मिलेगा.
कब से शुरू होगा रजिस्ट्रेशन (When Will The Registration Start)
इस वर्ष महाराष्ट्र में अरहर फसल की खरीद (Purchase Of Tur Crop) का लक्ष्य लगभग 2.71 लाख टन तय किया गया है. अरहर खरीद के लिए इसमें ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सोमवार से शुरू किया जाएगा. एमएसपी खरीद के लिए भी तैयारी शुरू हो गयी है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले सप्ताह से किसान सरकारी दरों पर अरहर की बिक्री कर सकेंगे.
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एमएसपी क्या है और इसकी क्या ज़रूरत है? (What Is Msp And What Is The Need For It?)
किसानों के हित के लिए एमएसपी की व्यवस्था सालों से चल रही है. केंद्र सरकार फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है. इसे ही एमएसपी कहते हैं. मान लीजिए अगर कभी फसलों की क़ीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार इस एमएसपी पर ही किसानों से फसल ख़रीदती है, ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके.
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