दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर जारी है. यह कई महीनों से लगातार खबरों में बना हुआ है. भारत में इसके कई पॉज़िटिव मामले सामने आए हैं, लेकिन बड़ा सवाल उठता है कि कोरोना वायरस इन्फेक्शन के बारे में कैसे पता किया जाए. आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं. इससे पहले हम आपको बता दें कि कोरोना वायरस जितनी गंभीर बीमारी है, उतना ही मुश्किल इसकी जांच करवाना भी है. इसकी जांच करने की प्रक्रिया काफी उलझी हुई है.
स्वाब टेस्ट - इस टेस्ट में लैब एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से सैंपल लेकर टेस्ट करता है.
नेज़ल एस्पिरेट – इसमें आपके नाक में एक सॉल्यूशन डालने के बाद सैंपल लिया जाता है.
ट्रेशल एस्पिरेट - आपके फेफड़े में ब्रोंकोस्कोप नाम का एक पतला ट्यूब डाला जाता है, वहां से सैंपल लेकर जांच होती है.
सप्टम टेस्ट – इसमें फेफड़े में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिए निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट किया जाता है. इसके अलावा ब्लड टेस्ट भी शामिल है.
इन सभी सैंपल को जुटाने के बाद कोरोना वायरस का विश्लेषण किया जाता है. इन सैंपल्स पर PCR टेस्ट परफॉर्म होता है.
क्या है PCR
PCR यानी पॉलीमरीज़ चेन रिएक्शन टेस्ट. अगर सैम्पल में वायरस के DNA/RNA से मिलती-जुलती कोई चीज़ मौजूद है, तो टेस्ट पॉज़िटिव मानकर आगे बढ़ा दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस टेस्ट की एक्यूरेसी सही नहीं है, इसलिए इस सैंपल को फाइनल टेस्ट के लिए जरूर भेजा जाता है.
फाइनल टेस्ट
कोरोना वायरस का फाइनल टेस्ट पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलॉजी में होता है. इस टेस्ट में सैंपल की तुलना वुहान वाले वायरस यानी SARS-Cov-2 के जीन सीक्वेंस से होती है. यह फाइनल टेस्ट होता है. अगर NIV की लैब कोरोना वायरस होने की घोषणा कर दें, तो इसके तुरंत बाद ही हेल्थ मिनिस्ट्री घोषणा कर देती है और उस मामले को WHO की लिस्ट में शामिल कर दिया जाता है.
आपको बता दें कि प्रीलिम्स की जांच ICMR में होती है. यह एक संस्था है, जिसका पूरा नाम Indian Council of Medical Research है. देशभर में ICMR की 52 लैब्स है, जहां कोरोना लायरस के टेस्ट किए जा रहे हैं.
ये खबर भी पढ़ें: PM Fasal Bima Yojana: आखिर क्यों किसानों को नहीं मिल रहा फसल बीमा का लाभ, जानिए वजह
Share your comments