रबी सीजन की फसलों जैसे आलू, सरसों, मसूर और जौं के फसल उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश में शीर्ष पर रहता है. हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण राज्य के कई जिलों में खरीफ सीजन के बाद सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है, इससे कई जिलों में रबी फसलों की बुवाई का काम प्रभावित हुआ है. हालांकि राहत भरी खबर यह कि राज्य में चने का रकबा इस वर्ष 84 फीसदी बढ़ा है. राजस्थान में भी इस वर्ष सरसों का रकबा बढ़ा है.
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, रबी फसलों की बुवाई 21 अक्टूबर तक 46 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 25.15 लाख हेक्टेयर (एलएच) तक पहुंच गई है. वहीं, सरकार ने रबी सीजन में की जाने वाली 6 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भी बढ़ा दिया है. यह एमएसपी गेहूं पर 110 रुपये प्रति क्विंटल किया है गया है, जिससे अब गेहूं के प्रति क्विंटल दाम 2015 रुपये से बढ़कर 2125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए है. सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मसूर की एमएसपी पर की गई है. मसूर के दामों में 500 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा करते हुए इसे 5500 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. वहीं सरकार ने तिलहन, सरसों के दाम पर प्रति क्विंटल 400 रुपये इजाफा करते हुए 5450 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है.
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सोल्वेंट एस्ट्रेक्टर एसोसिएशन (SEA) रबी फसलों पर बढ़ी एमएसपी पर कहना है कि बढ़ी एमएसपी सोयाबीन और मूंगफली के किसानों को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी और उन्हें भविष्य में ये तिलहनी फसलें उगाने से हतोत्साहित करेंगी. सोयाबीन की 120 लाख टन (लीटर) की बंपर फसल देखते हुए, मंडी की कीमत में गिरावट का रुझान है. मूंगफली की फसल भी अच्छी तरह से आकार ले रही है, और फसल पूरे जोरों पर ऐसे में सरसों सहित नई तिलहनी फसलें मंडी में आएंगी तो मूंगफली और सोयाबीन के तेल की कीमतों में और गिरावट होगी.
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