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पूसा कृषि विज्ञान मेला: फसलों और सब्जियों की प्रदर्शनी के अलावा मिलेंगे बीज

1 से 3 मार्च तक भा.कृ.अनु.सं. के मेला ग्राउंड में आयोजित किये जा रहे पूसा कृषि विज्ञान मेला, 2020 का उदघाटन समारोह भारत सरकार के केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण,ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री माननीय नरेंद्र सिंह तोमर जी के कर कमलों से संम्पन्न होगा जो उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. परशोत्तम रूपला एवं कैलाश चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, उदघाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे. डॉ त्रिलोचन महापात्र सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. समारोह के सम्माननीय अतिथि होंगे. भा.कृ.अनु.सं. के निदेशक डॉ. ए के सिंह तथा संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. जे. पी. शर्मा, भा.कृ.अनु.प. के उपमहानिदेशक (प्रसार) तथा अन्य गणमान्य अधिकारिगण समारोह को अलंकृत करेंगें.

विवेक कुमार राय
Pusa Mela
Pusa Mela

1 से 3 मार्च तक भा.कृ.अनु.सं. के मेला ग्राउंड में आयोजित किये जा रहे पूसा कृषि विज्ञान मेला, 2020 का उदघाटन समारोह भारत सरकार के केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण,ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री माननीय नरेंद्र सिंह तोमर जी के कर कमलों से संम्पन्न होगा जो उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. परशोत्तम रूपला एवं कैलाश चौधरी, कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, उदघाटन समारोह की अध्यक्षता करेंगे. डॉ त्रिलोचन महापात्र सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भा.कृ.अनु.प. समारोह के सम्माननीय अतिथि होंगे. भा.कृ.अनु.सं. के निदेशक डॉ. ए के सिंह तथा संयुक्त निदेशक (प्रसार) डॉ. जे. पी. शर्मा, भा.कृ.अनु.प. के उपमहानिदेशक (प्रसार) तथा अन्य गणमान्य अधिकारिगण समारोह को अलंकृत करेंगें.

उन्नत किस्में और उपज (Improved varieties and yields)

भा.कृ.अनु.सं. द्वारा विकसित बासमती चावल की किस्में जैसे पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1509 और अन्य बासमती की उन्नत किस्में जैसे पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1637 इत्यादि देश के लगभग 1.5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में उगाई जाती हैं और वर्ष 2018-19 के दौरान इसने रु. 32800 करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित की है. भा.कृ.अनु.सं. द्वारा जारी की गई गेहूं की किस्मों एचडी 2967, एचडी 3086 और अन्य किस्मों ने कुल मिलाकर देश के कुल गेहूं उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान दिया है जिससे रुपये 81000 करोड़ की कुल आय प्राप्त हुई है.

पूसा द्वारा विकसित उन्नत किस्में (Improved Varieties Developed by Pusa)

इस वर्ष, बेहतर पोषण और अधिक उपज एवं आय के लिए फसलों की 34 नई प्रजातियाँ विकसित की गई है जिसमें गेहूं (9), मक्का (4), चना (2) एवं मूंग , मसूर तथा सोयाबीन की एक-एक प्रजाति; सब्जियों की 11 किस्में;  फलों की चार (4) नई किस्में (आम की दो, प्यूमेलो और अंगूर में एक-एक) तथा फूलों की एक (ग्लेडियोलस)प्रजाति शामिल है.

बेहतर उपज प्रदान करने वाली किस्में (Better yielding varieties)

पूसा अचार खीरा-8  (डी.जी.-8) कम लागत वाले पॉली-हाउस के अंदर सर्दियों के मौसम (ऑफ-सीज़न: नवंबर-मार्च) के दौरान 80-85 टन/हेक्टेयर की उपज प्रदान करेगा. ग्रीष्मकालीन स्क्वैश पूसा श्रेयश (डीएस-17) पॉली-हाउस के अंदर सर्दियों के मौसम में 20.0-22.0 टन/हेक्टेयर उपज प्रदान करेगा. पूसा स्नोबॉल संकर-2 (केटीएच-डीएच-1) एफ1 संकर पर आधारित पहला दोगुना अगुणित है, पारंपरिक रूप से प्रतिबंधित एफ1 संकर की तुलना में इसमें अधिक एकरूपता है. पूसा पर्पल फूलगोभी-1 (केटीपीसीएफ-1) बैंगनी रंग की है और गहरी रंजकता गोभी के फूल के अंदर होती है. कुल खाद्य भाग में औसत एंथोसाइनिन सांद्रण 43.7मिली ग्राम / 100 ग्राम है. औसत विक्रेय फूल का वजन 0.76 किलोग्राम है.

उन्नत किस्में और पोषक तत्व (Improved varieties and nutrients)

भा.कृ.अनु.सं. की पहली F1 संकर पूसा रक्षित, टमाटर की किस्म (डीटीपीएच-60) संरक्षित खेती के लिए जारी की गई है. औसत फल उपज 15 किग्रा/वर्गमीटर है. पके हुए लाल फलों में टीएसएस 5.1O ब्रिक्स और लाइकोपीन की मात्रा 6.0 मिली ग्राम/100 ग्राम  होती है. पालक की किस्म पूसा विलायती कम अवधि तैयार होती है तथा दो कटिंग मे 12 टन /हेक्टेयर की उपज देती है. इसमें उच्च एस्कॉर्बिक एसिड, लोहा और कैल्शियम (क्रमशः 65, 8 और 186 मिलीग्राम/100 ग्राम) शामिल हैं. सरदा खरबूजे की पहली नारंगी मांसल किस्म पूसा सुनेहेरी विकसित की गई है और यह संरक्षित खेती के लिए उपयुक्त है. बाजार में अधिक मांग और कम आपूर्ति की स्थिति में फूलगोभी की पूसा संकर-3 (DCH 976) किसानों को आय बढ़ाने में मदद करेगी. दिल्ली में इसकी कटाई दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में करके 37-39 टन / हेक्टेयर की उपज प्राप्त की जा सकती है.

आम और अंगूर की उन्नत किस्में (Mango and improved varieties of grapes)

आम की पूसा मनोहरि (आम्रपाली x लाल सुंदरी, संकर 8-11) नियमित उपज वाली एक संकर है, जो आम की विकृति (10-15%) के प्रति सहिष्णु है. पूसा दीपशिखा (आम्रपाली x सेंसेशन, संकर 11-2) की संकर है जिसमें उपज की नियमितता है. पूसा बीजरहित प्यूमेलो -1 भारत का पहला बीज रहित सफेद मांसल प्यूमेलो उत्परिवर्ति (म्यूटेंट) है जिसमें उच्च रस प्राप्ति (41.13%) है. अंगूर संकर पूसा पर्पल बीजरहित को भ्रूण के बचाव के माध्यम से निर्मित किया गया है,  यह उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अतिशीघ्र पकने वाली एक किस्म (75-80 DAFB) है.

कृषि नवाचार केंद्र की स्थापना (Establishment of Agricultural Innovation Center)

नवोन्मेषी युग को बढ़ावा देने हेतु एक कृषि नवाचार केंद्र की स्थापना की जा रही है. इसकी नींव का पत्थर भारत के प्रधान मंत्री के प्रधान सचिव डॉ पी.के. मिश्रा द्वारा दिनांक 1 अप्रैल 2019 को रखा गया. नव जीन की खोज, डिजाइनर फसलों के विकास, प्राकृतिक अणुओं के बायोप्रोस्पेक्टिंग करके पौधों के संरक्षण रसायनों, जैव रसायन और पोषक तत्वों के रूप में उपयोग करने हेतु, किसानों द्वारा नवोन्मेषी तकनीकों की मान्यता और अत्याधुनिक विज्ञान में मानव संसाधन विकास हेतु यह एक बहु-विषयक केंद्र होगा.

एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated farming system)

एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) मॉडल किसानों की आय बढ़ाने में मददगार हो सकता है. भा.कृ.अनु.सं.  के मॉडल ने 628 दिनों के मानव रोजगार सृजन के साथ ही रु. 3,78,784 / हेक्टेयर / वर्ष की शुद्ध आय हासिल करने में मदद की है.

धान की पराली को जलाने में आई गिरावट (Decline in burning of paddy straw)

भा.कृ.अनु.सं. द्वारा अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों से ली गई छवियों का उपयोग करके तीन प्रदेशों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की वास्तविक समय निगरानी की गई थी. विश्लेषण के आधार पर दैनिक बुलेटिन जारी किया गया,  जिसका उपयोग कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और राज्य विभागों द्वारा, चावल के अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन पर "केंद्रीय क्षेत्र योजना" की सफलता का मूल्यांकन करने के लिए किया गया था. विश्लेषण में स्पष्ट रूप से तीन राज्यों में धान की पराली को जलाने में वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 में 18.8% की गिरावट आई है.

पूसा डीकम्पोजर विकसित (Pusa Decomposer Developed)

फसल अवशेषों को जलाने के खतरे को देखते हुए, भा.कृ.अनु.सं. ने धान के पुआल और विभिन्न कृषि-वनस्पति-कचरा प्रबंधन के लिए पूसा डीकम्पोजर विकसित किया है. इस तकनीक का लाइसेंस 7 कंपनियों को दिया गया है.

कुल प्रजनक बीज उत्पादन में आईएआरआई के किस्मों का योगदान (Contribution of IARI Varieties in Total Breeder Seed Production)

संस्थान ने कुल 1150.2 टन बीजों की आपूर्ति की है, जिसमें 12 अनाज एवं दलहनी फसलों तथा 25 सब्जियों की 100 से अधिक किस्मों के न्यूक्लियस, ब्रीडर एवं शुद्ध बीज शामिल हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि गेहूं, चावल और सरसों के क्षेत्र में, देश के कुल प्रजनक बीज उत्पादन में भा.कृ.अनु.सं.   किस्मों का योगदान 33% से अधिक है.

पूसा कृषि विज्ञान मेला 2020 (1-3 मार्च, 2020) के प्रमुख आकर्षण निम्न लिखित हैं (Following are the major attractions of Pusa Krishi Vigyan Mela 2020 (March 1-3, 2020))

रबी फसल उत्पादन प्रौद्योगिकियों का जीवंत प्रदर्शन

सब्जियों तथा फूलों की संरक्षित खेती का प्रदर्शन

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, भा.कृ. अनु. परिषद के संस्थानों और निजी कंपनियों द्वारा विकसित उन्नत कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी एवं बिक्री

उन्नतशील किस्मों के बीजों एवं पौधों की बिक्री

मृदा व पानी के नमूनों की मुफ्त जांच

कृषि उत्पादों और कृषि रसायनों का प्रदर्शन एवं बिक्री

उन्नत सिंचाई विधियों का प्रदर्शन

नव प्रवर्तक किसानों द्वारा स्वयं के उत्पादों का प्रदर्शन एवं बिक्री

किसान गोष्ठी

महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम का आयोजन

कृषि साहित्य का निशुल्क वितरण

मुफ्त स्वास्थ्य जांच

नवोन्मेषी किसान सम्मेलन

पुष्प प्रदर्शनी

किसानों को मिलेगा पुरस्कार (Farmers will get rewards)

हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी किसानों को विभिन्न प्रकार से पुरस्कृत करने की योजना है जिनमें 39 नवोन्मेषी कृषक तथा 5 फेलो कृषक शामिल हैं. संस्थान के इस प्रयास से जहां भारतवर्ष  के किसानों का मनोबल उच्च रहेगा वही वे कृषि कार्यों को करने में गौरवान्वित महसूस करेंगे. इसके साथ साथ भारत की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा का गुरुतर भार सहर्ष वहन करने में सक्षम होंगे. मेले के आयोजन से सम्बंधित अधिक जानकारी संयुक्त निदेशक (प्रसार), अध्यक्ष कृषि प्रौद्योगिकी आंकलन एवं स्थानान्तरण केंद्र तथा प्रभारी कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र द्वारा प्राप्त की जा सकती है.

English Summary: Pusa krishi vigyan mela 2020: Seeds will be available in addition to exhibition of crops and vegetables Published on: 29 February 2020, 05:34 PM IST

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