किसान आंदोलन में इस समय बड़े उलट-फेर का समय चल रहा है, गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले तक जहां किसान सरकार पर हावी थे, वहीं गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद आंदोलन पर सरकार का पलड़ा भारी दिखाई देने लगा. लाल किले पर निशान साहिब झंडा फहरने के बाद किसानों का आंदोलन अपने आप मानो कमजोर होने लगा और लोग घरों की तरफ जाने लगे.
राकेश टिकैट हुए भावुक
एक के बाद एक चार किसान संगठनों द्वारा धरना खत्म करने के बाद ऐसा लगने लगा मानो अब ये आंदोलन बस समाप्ति की तरफ ही है. लेकिन कल गाजीपुर बॉर्डर पर एक हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद हवा फिर बदल गई. भारी पुलिस और फोर्स की मौजूदगी को देखते हुए किसान नेता राकेश टिकैत अचानक रोने लगे, भारी आवाज़ में उन्होंने कहा कि 'मैं अब पानी तक नहीं पीऊंगा और न धरना समाप्त करूंगा, सरकार चाहे तो मुझे गोली मार दे.”
नहीं खत्म करेंगे धरना
इतना ही नहीं गाजियाबाद प्रशासन द्वारा किसानों को गुरुवार आधी रात तक यूपी गेट खाली करने के अल्टीमेटम पर भी उन्होंने सीधा जवाब दे दिया कि अगर उन्हें हटाने की कोशिश हुई तो वो यहीं आत्महत्या कर लेंगे.
अचानक लौटने लगे किसान
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान टिकैत फूट-फूटकर रोते हुए टीवी की स्क्रीन पर दिखाई दिए. फिर कुछ ऐसा हुआ जिसका अंदाजा शायद सरकार को भी नहीं रहा होगा, जो किसान अपना बोरिया-बिस्तर बांध घर की तरफ जा रहे थे, वो वापस लौटना शुरू कर दिए. कल रात होने से पहले ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से करीब 500 किसानों का एक जत्था विरोध स्थल पर पहुंच गया. वहीं आम आदमी पार्टी ने भी तुरंत किसानों को मदद भेजते हुए पानी के टैंकर और खाने का सामान पहुंचा दिया.
खाली हाथ लौटी पुलिस
आधी रात तक किसानों और पुलिस बल के बीच तनाव बना रहा, लेकिन सुबह होने से पहले ही रैपिड एक्शन फोर्स की गाड़ियों को वापस जाना पड़ा, सुबह की पहली किरण के साथ किसान अधिक उत्साही और आत्मविश्वास से भरे हुए नजर आए. फिलहाल बिना किसी गिरफ्तारी या हिरासत के पुलिस पीछे हट गई है और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की भीड़ एक बार फिर बढ़ती जा रही है.
Share your comments