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सुमिन्तर इंडिया ने विदर्भ के किसानों को दिया फसल (रबी) पूर्व प्रशिक्षण

सुमिन्तर इंडिया ऑरगैनिक द्वारा चलाये जा रहे जैविक खेती जागरूकता अभियान की श्रृंख्ला में महाराष्ट्र के किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया गया. यह फसल पूर्व प्रशिक्षण महाराष्ट्र के विधर्व क्षेत्र के जिला अकोला, अमरावती बुढ़ाना के लगभग 275 किसानों को दिया गया. इस फसल पूर्व प्रशिक्षण आगामी रबी फसल को ध्यान में रखकर किया गया. रबी मौसम में इस क्षेत्र की मुख्य फसल चना है जिसमें खेत की तैयारी बीज का चुनाव, जमाव परिक्षण, बीज उपचार, जिवाणु खाद का प्रयोग कर बीज उपचार कैसे करें बताया गया. चने में उकठा या मरुरोग की समस्या आती है जिससे बचाव हेतु ट्राईकोडर्मा नामक जैविक फफूंद नाशी से बुवाई के पूर्व भूमि शोधन बताया गया.

सुमिन्तर इंडिया ऑर्गेनिक द्वारा चलाये जा रहे जैविक खेती जागरूकता अभियान की श्रृंख्ला में महाराष्ट्र के किसानों को फसल पूर्व प्रशिक्षण दिया गया. यह फसल पूर्व प्रशिक्षण महाराष्ट्र के विधर्व क्षेत्र के जिला अकोला, अमरावती बुढ़ाना के लगभग 275 किसानों को दिया गया. इस फसल पूर्व प्रशिक्षण आगामी रबी फसल को ध्यान में रखकर किया गया. रबी मौसम में इस क्षेत्र की मुख्य फसल चना है जिसमें खेत की तैयारी बीज का चुनाव, जमाव परिक्षण, बीज उपचार, जिवाणु खाद का प्रयोग कर बीज उपचार कैसे करें बताया गया. चने में उकठा या मरुरोग की समस्या आती है जिससे बचाव हेतु ट्राईकोडर्मा नामक जैविक फफूंद नाशी से बुवाई के पूर्व भूमि शोधन बताया गया.

फसल बोने के बाद खड़ी फसल में जीवामृत व वेस्ट डी-कंपोजर घोल का प्रयोग कैसे करें इसकी जानकारी किसानों को दी गई. जीवामृत तथा वेस्ट डी-कंपोजर का घोल कैसे बनाएं यह बताया गया और बनाकर दिखाया गया. फसल की बढ़वार के बाद प्रमुख कीट फलीभेदक से बचाव हेतु विषरहित फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग कब कैसे करें तथा इसके क्या फायदे हैं बताया गया.

कीटों के नियंत्रण हेतु स्थानीय रूप से उपलब्ध पेड़ पौधों के पत्तियों का उपयोग कर विभिन्न प्रकार के हर्बल सत् तैयार कर उनका उपयोग कैसे करें बताया गया. जिसमें दशपर्णी अर्क, पंचपत्ती अर्क एवं सत गौ-मूत्र पुरानी छाछ,  नीम बीज सत्, लहसुन मिर्च सत् आदि को बनाकर दिखाया गया. इसका फसल पर उपयोग कर किसान विषमुक्त उत्पादन बिना खर्च के प्राप्त कर सकते हैं.

“फसल पूर्व प्रशिक्षक” में प्रशिक्षक की भूमिका कंपनी के वरिष्ठ प्रबंधक (शोध एवं विकास) संजय श्रीवास्तव ने निभया और उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया की जैविक खेती का मुख्य आधार जैविक खाद है, जो पशुओं के मल- मूत्र एवं फसल अवशेष एवं वनस्पत्तियों से तैयार होती है. वर्तमान मे किसान खाद या कम्पोस्ट को एक ढेर के रुप में एकत्र कर वर्ष में एक बार गर्मी में खाली खेत में डालते हैं. ढ़ेर में खाद ठीक से स़ड़ती नहीं है और तेज गर्मी/धूप से उपलब्ध पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. साथ ही अधपकी खाद के उपयोग से खेतों मे दीमक का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे बचाव हेतु एवं अच्छी खाद मात्र 2 माह में कैसे तैयार हो इसके लिए राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF)  द्वारा विकसित वेस्ट डी- कम्पोस्ट के बहुलीकरण एवं उपयोग की विधि बताया गया.

खाद तैयार करने की अन्य विधियां जैसे- घन-जीवमृत, जीवामृत, आदि बनाने का प्रशिक्षण संजय श्रीवास्तव द्वारा बनाकर दिखाया गया. प्रशिक्षण में आए हुए किसानों को बहुलीकृत वेस्ट डी-कंपोजर की एक लीटर की बोतल प्रत्येत किसानों को दिया गया तथा इसे पुन: कैसे बहुलीकृत कर उपयोग करें बताया गया.

जिम्मी, कृषि जागरण

English Summary: Pre- Season ( Rabi ) Training on Organic Farming by Suminter India organic Published on: 20 October 2018, 04:23 PM IST

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