Poultry Farming: उत्तराखंड सरकार ने राज्य में कुक्कुट उद्योग को सशक्त बनाने और बाहरी राज्यों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से कुक्कुट विकास नीति 2025 को मंजूरी दे दी है. इस नीति के साथ ही शासन ने इसका पालन करने के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) भी जारी किया है. नई नीति का मुख्य उद्देश्य अंडा और चिकन उत्पादन को बढ़ावा देना, पोल्ट्री फार्मिंग को सुविधाजनक बनाना और स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करना है.
नीति में पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों दोनों के लिए सब्सिडी की विस्तृत व्यवस्था की गई है, जिससे छोटे और बड़े किसान समान रूप से लाभान्वित हो सकें. सरकार का मानना है कि इससे राज्य की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और भविष्य में कुक्कुट उत्पादों के लिए बाहरी राज्यों पर निर्भरता घटेगी.
नीति की अवधि और प्रभाव
जारी शासनादेश के अनुसार, कुक्कुट विकास नीति 2025 31 दिसंबर 2030 तक या नई नीति लागू होने तक प्रभावी रहेगी. सरकार को आवश्यकता पड़ने पर नीति की अवधि बढ़ाने या घटाने का अधिकार भी होगा. यह नीति पूरे राज्य में लागू होगी और भविष्य में बनने वाली योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज का काम करेगी.
नीति के तहत खास तौर पर दो प्रकार के पोल्ट्री फार्मों - व्यावसायिक लेयर फार्म और ब्रायलर पेरेंट फार्म के लिए आकर्षक अनुदान की व्यवस्था की गई है. नीति में पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सब्सिडी संरचना तय की गई है ताकि हर क्षेत्र के किसानों और उद्यमियों को लाभ मिल सके.
पोल्ट्री फार्मिंग के लिए सब्सिडी
व्यावसायिक लेयर फार्म के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में 15,000 कुक्कुट पर अधिकतम ₹48 लाख की सब्सिडी मिलेगी, जबकि मैदानी क्षेत्रों में 30,000 कुक्कुट पर अधिकतम ₹54 लाख की राशि का लाभ लिया जा सकेगा. ब्रायलर पेरेंट फार्म के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में 5,000 कुक्कुट पर अधिकतम ₹56 लाख और मैदानी क्षेत्रों में 10,000 कुक्कुट पर अधिकतम ₹63 लाख की सब्सिडी प्रदान की जाएगी.
इसके अलावा, पहाड़ी क्षेत्रों में फीड ट्रांसपोर्ट पर ₹10 प्रति क्विंटल की अतिरिक्त सब्सिडी भी दी जाएगी. इस सब्सिडी संरचना का उद्देश्य निवेश को आकर्षक बनाना और किसानों के लिए पोल्ट्री फार्म स्थापित करना आसान बनाना है.
पहले आओ, पहले पाओ का सिद्धांत
कुक्कुट विकास योजना में चयन “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर किया जाएगा. इसका मतलब है कि जो किसान या उद्यमी अपने आवेदन और दस्तावेज समय पर जमा करेंगे और पूरी तरह से योग्य होंगे, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. केवल वही पात्र माने जाएंगे जो नीति में तय सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करेंगे. यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि सब्सिडी सही और योग्य लाभार्थियों तक पहुंचे.
रोजगार और आत्मनिर्भरता में योगदान
पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि कुक्कुट विकास नीति के लागू होने से राज्य में अंडा और चिकन उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि होगी. उन्होंने बताया कि अब उत्तर प्रदेश और पंजाब से आयात पर निर्भरता घटेगी, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उत्तराखंड कुक्कुट उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सकेगा.
मंत्री ने यह भी कहा कि इस नीति से किसानों और उद्यमियों के लिए पोल्ट्री फार्म स्थापित करना आसान होगा और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद करेगा.
बकरी पालन पर 100 सब्सिडी
नीति के अलावा, सरकार ने महिला बकरी पालन योजना में भी शत-प्रतिशत अनुदान की घोषणा की है. इस योजना का लक्ष्य अकेली रह रही महिलाओं, विधवाओं, निराश्रित और परित्यक्ता महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है. इस योजना के तहत महिला उद्यमियों को उनके प्रयासों और पालन-पोषण में सहायता मिलेगी, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें. यह कदम राज्य में महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
नीति का व्यापक प्रभाव
कुक्कुट विकास नीति 2025 का उद्देश्य न केवल अंडा और चिकन उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और कृषि उद्योग में स्थिरता लाने की दिशा में भी योगदान देगा. पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों दोनों के लिए सब्सिडी और सुविधा संरचना तैयार करने से राज्य में पोल्ट्री फार्मिंग को बढ़ावा मिलेगा.
नीति का समय पर पालन और प्राथमिकता के आधार पर चयन सुनिश्चित करेगा कि योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचे. इस नीति के माध्यम से उत्तराखंड राज्य खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनकर भविष्य की चुनौतियों का सामना कर सकेगा.
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