हिमाचल के कुल्लू का दशहरा दुनिया भर में फेमस है इस दिन यहां पर बड़ी धूमधाम से दशहरा मनाया जाता है और रावण दहन देखने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं. लेकिन इस बार कुल्लू का दशहरा सुर्खियों में है क्योंकि यहां पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जा रहे हैं.
बता दें कि पीएम अभी हिमाचल के दौरे पर हैं जिसमें उन्होंने पहले एम्स, बिलासपुर का उद्घाटन किया और अब कुल्लू के प्रसिद्ध दशहरा उत्सव में भाग लेंगे. इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, अनुराग ठाकुर, जयराम ठाकुर और सुरेश कश्यप भी पीएम के साथ रहेंगे.
कुल्लू के दशहरे का क्या है इतिहास
कुल्लू दशहरे के बारे में एक किंवदंती के अनुसार बताया जाता है कि 16वीं शताब्ती में कुल्लू में राजा जगत सिंह का शासन था. राजा को दुर्गादत्त के नाम से एक किसान के बारे में पता चला. जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके पास बहुत कीमती मोती हैं. लेकिन उसके पास कोई असल के मोती नहीं बल्कि ज्ञान मोती थे. राजा ने लालच के कारण मोती न देने पर दुर्गादत्त को फांसी की सजा सुनाई, जिसके चलते दुर्गादत्त ने आत्महत्या कर और राजा को श्राप दिया कि "जब भी तुम खाओगे, तुम्हारा चावल कीड़े के रूप में दिखाई देगा, और पानी खून के रूप में दिखाई देगा".
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राजा ने अपने श्राप को काटने के लिए एक ब्राह्मण से सलाह ली और ब्राह्मण ने बताया कि शाप को मिटाने के लिए, उसे राम के राज्य से रघुनाथ के देवता को पुनः प्राप्त करना होगा. राजा ने एक ब्राह्मण को अयोध्या भेजा और वहां से रघुनाथ के देवता को लाने के लिए कहा. ब्राह्मण जब कुल्लू देवता लेकर के आया तो राजा जगत सिंह ने देवता के चरण-अमृत पिया और उसका शाप हट गया. इस कथा के बाद यहां पर दशहरे के दिन रथ यात्रा निकाली गई. उसी के बाद से यह परंपरा चली आ रही है.
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