कृषि समस्या के मद्देनज़र केंद्र सरकार किसानों को एक बड़े वित्तीय पैकेज के साथ प्रोत्साहन देने का विचार कर रही है. गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सियासी जमीं पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारें किसानों को लुभाने के लिए अभी तक काफी घोषणाएं कर चुकी है. केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र की समाप्ति से पहले किसानों के लिए और भी घोषणाएं कर सकती है. बता दें, कि ग्रामीण आय को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रोत्साहन की घोषणा भाजपा नेताओं और सांसदों द्वारा दी गई. मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री अरुण जेटली, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के साथ व्यापक कृषि राहत योजना पर चर्चा की हैं.
कांग्रेस ने तीनों राज्यों में सत्ता हासिल करने और कार्यभार संभालने के तुरंत बाद कृषि ऋण माफ कर दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में कहा है कि ''उनकी पार्टी और अन्य लोग पीएम मोदी को तब तक सोने या आराम नहीं करने देंगे जब तक कि अखिल भारतीय ऋण माफी योजना की घोषणा नहीं की जाती।'' हालांकि, केंद्र सरकार की योजना कर्जमाफी से दूर जाने की है. पीएम ने यह भी टिप्पणी की कि कांग्रेस की कर्जमाफी केवल चुनाव जीतने के लिए थी, यह दर्शाता है कि भाजपा में कुछ और हो सकता है.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सरकार की योजना किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बाजार मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान करने की है. उन्होंने कहा कि यह मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा पहले से ही कोशिश की गई थी, लेकिन इससे किसानों को कोई राहत नहीं मिली. मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों के मॉडल का अध्ययन किया है, जैसे - सात राज्यों में घोषित कर्ज माफी, ओडिशा जैसे राज्यों में दी जा रही इनपुट सब्सिडी और तेलंगाना की 'रायथु बंधु' योजना.
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