मानव का श्रम और प्रकृति का योगदान मिलकर किसी भी फसल को उगाने में सहायक साबित होते हैं. अगर दोनों में से किसी भी गतिविधि में शिथिलता पाई गई, तो फसलों पर इसका सीधा नकारात्मक असर दिखता है. अभी कुछ ऐसा ही हो रहा है प्लम किसानों के साथ भी..जी हां, उत्तर प्रदेश में प्लम उगाने वाले किसानों को मौसम की मार का सामना करना पड़ रहा है. प्रकृति उनका साथ नहीं दे रही है, जिसका सीधा असर उनके द्वारा उगाई गई फसलों पर पड़ रहा है. आलम यह है कि असमय मौसम की मार से प्लम के पोधों पर फूल आना शुरू हो गए हैं.
वहीं, अगर आने वाले दिनों में मौसम का मिजाज बदला और बारिश हो गई, तो समझिए लीजिए कि प्लम की खेती की पूरी स्थिति बिगड़ी जाएगी. खैर, अब आगे चलकर मौसम क्या रूख अख्तियार करती है, यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, मगर इससे पहले हम आपको बताते चले कि शिमला जिले के जुब्बल निवासी एवं बागवानी विवि नौणी के पूर्व वाइस चांसलर विजय सिंह ठाकुर ने मौसम के बदले रूख पर क्या कहा? उन्होंने कहा कि 7300 फीट की ऊंचाई पर उनके बगीचे में करीब एक महीने पहले उनकी बगीचे में फ्लवरिंग होना शुरू हो गई. जमीन पर तापमान के अभाव यह सब कुछ हो रहा है. इसके अतरिक्त इस संदर्भ में अतरिक्त जानकारी देते हुए हिमाचल प्लम ग्रोवर फोरम के संस्थापक दीपक सिंघ कहते हैं कि समय से पूर्व फूल आने से फसलों पर इसका नकारात्मक असर दिखेगा.
इसके साथ ही उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. देशराज शर्मा कहते हैं कि तापमान में वृद्धि होने की वजह से भी फसल में फ्लवरिंग देखने को मिल रही है. अगर मौसम का यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो फिर प्लम पर फूल लगने का यह सिलसिला भी यूं ही जारी रहेगा. खैर, अब प्लम की खेती पर मौसम का क्या कुछ असर पड़ता है. यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही तय करेगा.
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